Bihar Assembly Election: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर गुणा-गणित की तैयारी शुरू हो चुकी है। सभी दलों आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए प्रचार कर रहे हैं। ऐसे में महागठबंधन में शामिल दल सीटों को लेकर राष्ट्रीय जनता दल पर दबाव बनाना शुरू कर चुके हैं। सूत्रों की मानें तो लेफ्ट पार्टियां (सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई एमएल) इस बार के चुनाव में पिछले चुनाव की अपेक्षा ज्यादा सीटों की मांग कर रही हैं। वहीं कांग्रेस 50 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। इस बार के चुनाव में राजद बहुत सोच समझकर फैसला करने वाली है।

साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में राजद, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां थीं। चुनाव में राजद सबसे बड़ी पार्टी जरूर बनी थी लेकिन सरकार बनाने से चूक गई थी। इस चुनाव में लेफ्ट पार्टियों ने कांग्रेस से बेहतर प्रदर्शन किया था और कांग्रेस महज 19 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई थी। कम सीटों पर जीत दर्ज कर पाने की वजह से महागठबंधन सरकार नहीं बना पाई थी।

2020 के चुनाव में महागठबंधन का गणित

इस चुनाव में जहां कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिसमें पार्टी को महज 19 सीटों पर ही जीत मिली। वहीं लेफ्ट पार्टियों के खाते में 29 सीटें आई थी जिसमें से 16 सीट पर कामयाबी मिली थी। जबकि राजद 75 सीटें जीतकर राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। महागठबंधन के खाते में 110 सीटें आई लेकिन सरकार बनाने से चूक गई।

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बीते 2024 के लोकसभा में कांग्रेस का प्रदर्शन विधानसभा के मुकाबले अच्छा रहा। हालांकि उसके बाद हुए हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव में कांग्रेस की स्थिति ठीक नहीं रही। हालांकि बिहार चुनाव में कांग्रेस गठबंधन को बरकरार रखते हुए आगे बढ़ना चाहती है। ऐसे में कांग्रेस को 50 से 60 सीटें लड़ने को मिलने का अनुमान है।

वहीं लेफ्ट पार्टियां इस बार ज्यादा चुनाव लड़ने की मांग कर रही हैं। पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद लेफ्ट पार्टियां (खासकर सीपीआई एमएल) करीब 50 सीटों की डिमांड कर रही हैं। जबकि इस चुनाव में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के नेता मुकेश सहनी भी महागठबंधन का हिस्सा हैं। वो भी ज्यादा से ज्यादा सीटों की मांग रख रखेंगे।