Bihar Election 2025: बिहार में चुनाव का असर देखने को मिलने लगा है। चारों ओर लोगों के बीच इसकी चर्चा भी शुरू हो गई है। सभी दल अपने-अपने हिसाब से तैयारियों में जुट गए हैं। जहां मौजूदा सत्ता पक्ष के मुखिया और राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नई-नई योजनाओं की सौगात दे रहे हैं। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लगातार बिहार दौरा चल रहा है। जबकि विपक्षी महागठबंधन द्वारा पूरे बिहार में वोटर अधिकार यात्रा निकाली जा रही है। इस यात्रा के जरिए विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में बिहार के वोटरों को साधने की तैयारी है। हालांकि इस खबर के माध्यम से हम ये सीवान लोकसभा में आने वाली सभी विधानसभाओं का समीकरण समझेंगे।

सीवान लोकसभा से मौजूदा समय में जनता दल यूनाइटेड की विजय लक्ष्मी कुशवाहा सांसद हैं। इस लोकसभा में कुल 6 विधानसभा सीटें आती हैं। सभी सीटों की बात करें तो जिरादेई, दरौली (सुरक्षित), रघुनाथपुर, दरौंदा, बड़हरिया और सीवान हैं। इनमें से मौजूदा समय में 5 सीटों पर महागठबंधन का कब्जा है। जबकि केवल दरौंदा सीट ही एनडीए के खाते में है। लोकसभा में पिछले कई चुनावों से एनडीए जरूर मजबूत रही है लेकिन विधानसभा में आते ही महागठबंधन की स्थिति बेहतर हो जाती है। आइए अब हर एक विधानसभा के हिसाब देखते हैं पूरी स्थिति…

दरौंदा विधानसभा में बीजेपी की स्थिति मजबूत

सीवान लोकसभा की दरौंदा विधानसभा अभी एनडीए के खाते में हैं। यहां से मौजूदा समय में बीजेपी के करणजीत सिंह विधायक हैं। 2020 के विधानसभा के चुनाव में करणजीत सिंह को 71,939 वोट मिले थे जबकि महागठबंधन के सहयोगी सीपीआई (एमएल) के उम्मीदवार रहे अमरनाथ यादव को 60,614 वोट मिले। जबकि साल 2015 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से जेडीयू की कविता सिंह को जीत मिली थी।

इसे भी पढ़ें: मगध है बीजेपी-एनडीए का सबसे कमजोर किला, तमाम सौगातों के जरिए पीएम मोदी ने की 48 सीटों को साधने की कोशिश

सीवान विधानसभा जीतते-जीतते बीजेपी को मिल गई हार

सीवान विधानसभा मौजूदा समय में महागठबंधन के खाते में हैं। यहां से आरजेडी के अवध बिहारी चौधरी विधायक हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में यहां से आरजेडी को 2 हजार से भी कम वोटों से जीत मिली। जबकि इससे पहले बीजेपी के व्यास देव प्रसाद ने यहां से 2005, 2010 और 2015 के चुनावों में जीत दर्ज की थी।

जीरादेई में लेफ्ट की स्थिति बेहतर

अमरजीत कुशवाहा जीरादेई विधानसभा से मौजूदा विधायक हैं। उन्होंने 2020 के चुनाव में सीपीआई (एमएल) के टिकट पर जीत हासिल की थी। इससे पहले 2015 में यहां से रमेश कुशवाहा जेडीयू के विधायक बने थे। चूंकि 2015 में जेडीयू और आरजेडी का गठबंधन था। ऐसे में बीजेपी यहां पर 2010 के बाद जीत दर्ज नहीं कर पाई थी। लेकिन लेफ्ट हर चुनाव में मजबूत स्थिति में नजर आई।

इसे भी पढ़ें- ‘तो तुम्हें सरकारी नौकरी नहीं मिल पाई…’, लालू यादव के मुख्यमंत्री बनने पर उनकी मां हो गई थीं निराश, जानें क्या था पूरा किस्सा

दरौली में एमएल हैट्रिक की तैयारी में

दरौली विधानसभा पिछले दो चुनावों से सीपीआई (एमएल) के खाते में है। यहां से सत्यदेव राम दो बार के विधायक हैं। दरौली विधानसभा अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित हैं। 2020 और 2015 के विधानसभा में सत्यदेव ने बीजेपी के पूर्व विधायक रामायण मांझी को हराया था। रामायण मांझी ने 2010 में यहां जीत दर्ज की थी।

रघुनाथपुर में राजद रही है मजबूत

रघुनाथपुर विधानसभा से राजद के हरि शंकर यादव पिछले दो चुनावों से जीत दर्ज कर रहे हैं। साल 2020 के विधानसभा चुनाव में हरि शंकर ने लोजपा के मनोज सिंह को करीब 18 हजार के बड़े अंतर से हराया था। जबकि 2015 के चुनाव में भी भाजपा के टिकट पर उम्मीदवार मनोज सिंह को ही 11 हजार वोटों से हराया। उसके पहले बीजेपी और जेडीयू यहां से जीतती रही है।

जब बिहार में ‘किंग मेकर’ बन सकती थी LJP, ‘रामविलास पासवान’ के इस दांव से चित हो गए थे ‘लालू यादव’, दोबारा फिर कभी उठ नहीं पाई RJD

बड़हरिया के चुनावी समीकरण में जेडीयू मजबूत

बच्चा पांडे बड़हरिया विधानसभा सीट से आरजेडी के मौजूदा विधायक हैं। उन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू के श्याम बहादुर सिंह को करीब 35 सौ वोटों से हराया था। इस चुनाव में लोजपा के बीर बहादुर सिंह को 5 हजार से अधिक वोट मिले थे। जिस वजह जेडीयू को हार मिली। जबकि 2010 और 2015 के विधानसभा चुनाव में यहां से जेडीयू के श्याम बहादुर सिंह को जीत मिली थी।