Bihar Election 2020: बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कोरोना-बाढ़-चुनाव के भंवर में फंसते नजर आ रहे है। जिस बिहार के 90 हजार लोग कोरोना संक्रमित हो चुके है। और 16 ज़िलों की 77 लाख आबादी बाढ़ से घिरी हो । वहां चुनाव की बात करना बेईमानी से कम नहीं है। फिर भी राजनैतिक दल सीटों के गुणा-भाग में लग गए है।
एनडीए में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के नेता चिराग पासवान चुनाव न कराने के पक्ष में बयान दे रहे हैं। राजद नेता तेजस्वी यादव भी आपदा और महामारी के बीच चुनाव न कराने की अपील चुनाव आयोग से कर चुके हैं। कांग्रेस के केंद्र से बिहार प्रभारी शक्तिसिंह गोहिल ने भी कहा है कि अभी चुनाव कराने लायक माहौल नहीं है। पर एनडीए के सबसे बड़े घटक दल भाजपा इस मुद्दे पर चुप्पी साधी है। ऐसे बयान सीएम नीतीश कुमार की नींद उड़ा रहे हैं। असल में जदयू पांच साल पूरे होने के बाद राष्ट्रपति शासन के तहत चुनाव नहीं चाहता।
हालांकि चुनाव आयोग का कहना है कि चुनाव समय पर ही होंगे। बिहार विधानसभा के चुनाव इसी साल अक्टूबर-नवंबर में कराने होंगे। इसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लग जाएगा। जदयू चाहती है कि चुनाव समय पर हो। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा कानूनी तौर पर अंदर ही अंदर इस संभवना की तलाश कर रही है कि राष्ट्रपति शासन में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनों बरकरार रह सकते है? इसी तलाश में वह चुप है। और अंदरूनी तौर पर कोशिश राष्ट्रपति शासन लागू कराने की है। इसीलिए लोजपा नेता चिराग पासवान की पीठ थपथपाई जा रही है। ऐसा जानकार सूत्र बताते है।
जदयू के बड़े नेता इस बात को भली-भांति भांप चुके हैं। तभी जदयू और लोजपा आमने-सामने भिड़ी है। जदयू नेता राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने चिराग को “कालिदास” की संज्ञा दी और कहा कि वे जिस डाल पर बैठे है उसी को काटने पर उतारू है। ध्यान रहे कि भाजपा-जदयू-लोजपा एनडीए का हिस्सा हैं। जदयू नेता केसी त्यागी तो पहले ही कह चुके है कि जदयू का सीधे तौर पर भाजपा से समझौता है। उनसे सीटों का तालमेल, मंच साझा और नेतृत्व पर सहमति है। एनडीए में लोजपा है। मगर उससे हमें सीधे तौर पर कोई मतलब नहीं है।
दरअसल सीटों को लेकर यह कश्मकश चल रही है। आंकड़े देख लोजपा नेतृत्व बौखला उठा है। बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटें है। इनमें से 120 से कम सीटों पर जदयू मानने तैयार नहीं है। वहीं भाजपा को 102 सीटें कम से कम चाहिए। मसलन 21 सीटें लोजपा के हिस्से बचती है। लोजपा नेताओं की दलील है कि बिहार में पार्टी के छह सांसद है। एक लोकसभा क्षेत्र में अमूमन छह विधानसभा सीटें होती है। इस हिसाब से 36 सीटें लोजपा की बनती है। इससे कम पर लोजपा राजी नहीं है। इसी वजह से चिराग के तेवर कड़े है।
महागठबंधन में भी सीट शेयरिंग को लेकर विवाद
ऐसा नहीं है कि सीटों को लेकर घमासान केवल एनडीए में है। महागठबंधन में भी लठ्ठ बज रहे है। असल में हरेक गठबंधन में छोटी पार्टियां ज्यादा से ज्यादा सीटें झटक लेने की फिराक में है। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम), राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा), विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) भी इसी दांव में लगी है। इधर कांग्रेस नेता सदानंद सिंह ने बयान जारी कर 80 सीटों पर लड़ने की बात कह डाली। जिसे कांग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने अफवाह बता सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि समय आने पर सीटों का तालमेल महागठबंधन नेता मिल कर तय कर लेंगे। वैसे अभी चुनाव कराने का वक्त ही नहीं है। कोरोना-बाढ़ से लोग तबाह है। मगर बिहार कांग्रेस पार्टी ने भी 25 अगस्त से वर्चुअल चुनाव रैलियां करने का कार्यक्रम तय कर रखा है। भागलपुर कांग्रेस के संजय सिंहा बताते है कि इसकी शुरुआत पार्टी नेता राहुल गांधी कर चुके है। कांग्रेस की नीतियों को जन जन तक पहुंचा रहे है।
जीतनराम मांझी की बात करें तो वे महागठबंधन में अपने को आरामदायक स्थिति में महसूस नहीं कर रहे हैं। सभी दलों को मिलाकर समन्वय समिति बनाने की मांग उनकी शुरू से रही है। जिस पर तेजस्वी यादव कोई ध्यान नहीं दे रहे। इनकी ढुलमुल नीति की वजह से ही मांझी के एनडीए में जाने के कयास लगते रहते है। मगर यह तभी संभव होगा जब लोजपा महागठबंधन का दामन थामें।
चुनाव हुए तो मुश्किल में आ सकती है भाजपा
इन्हीं सब पेंच में बिहार की राजनीति फंसी है। बिहार भाजपा नेता नाम न छापने की शर्त पर कहते है कि कोरोना-बाढ़ के बीच भाजपा के मतदाता घरों से निकलने से रहे। यादव-मुस्लिम वोटर खुलकर मतदान करेंगे। इसका फायदा किस दल को होगा ? यह सबको पता है। इस वजह से भी भाजपा चुनाव टालने की मांग पर चुप्पी साधे है।
हालांकि, राजद नेता तेजस्वी यादव ने एक तरफ चुनाव न कराने की गुजारिश आयोग से की है। दूसरी तरफ पार्टी के प्रखंड स्तर के नेता को चुनाव के लिए कमर कस लेने की अपील की है। भागलपुर राजद जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर यादव उन्हीं के निर्देश पर अपनी टीम के साथ बूथ कमेटियां ग़ांव-ग़ांव जाकर बना रहे है। वर्चुअल संवाद कर रहे है।
बहरहाल मुख्यमंत्री व जदयू नेता नीतीश कुमार और इनके दल के नेता भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए वर्चुअल संवाद पार्टी जनों से कर रहे है। मगर राज्य में कोरोना के बढ़ते मामलों की रफ्तार न थम पाने और बाढ़ से घिरे लाखों लोगों की चिंता के बीच चुनावी भंवर में फंसे से नजर आ रहे है। ऊपर से विपक्षी दलों के तंज के साथ घटक दल की चोटिल करने वाले बयान नींद उड़ाएं है।

