बिहार में सियासी माहौल बेहद गरम है। लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के बीच जुबानी जंग जारी है। इसी बीच महागठबंधन ने एलजेपी को उनके साथ जुड़ने के संकेत दिया हैं। वहीं पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान को एनडीए में “अपमान सहन नहीं करने” की नसीहत दी है।
महागठबंधन ने चिराग को उकसाने की कोशिश उस मीटिंग के बाद की है जिसमें एलजेपी ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए 143 सीटों पर प्रत्याशियों की सूची बनाकर जल्द केंद्रीय संसदीय बोर्ड को सौंपने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा इस मीटिंग में निर्णय लिया गया है कि चिराग पासवान इस बात का अंतिम फैसला लेंगे कि उनकी पार्टी जेडीयू प्रमुख और राज्य के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ना चाहते हैं या नहीं।
जेडीयू के प्रवक्ता के सी त्यागी ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया, “यह एलजेपी है जो कहती है कि हमारे बीच इसका कोई गठबंधन नहीं है। मैं कहना चाहता हूं कि तकनीकी रूप से 1998 के लोकसभा चुनाव से लेकर 2005 और 2010 के विधानसभा चुनाव तक एलजेपी के साथ हमारा कोई गठबंधन नहीं था। एलजेपी नीतीश कुमार का नेतृत्व स्वीकारने को तयार नहीं है। जबकि पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा जैसे वरिष्ठ भाजपा नेता बिहार विधानसभा का चुनाव नीतीश कुमार में नेतृत्व में ही लडऩे की घोषणा कर चुके हैं।”
त्यागी ने कहा कि चिराग नीतीश के शासन मॉडल की आलोचना कर आरजेडी को चुनावी मसाला दे रहे हैं। त्यागी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, एलजेपी के प्रवक्ता अशरफ अंसारी ने कहा: “हम त्यागी को धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि हम जेडीयू के साथ गठबंधन में नहीं हैं… हमारे नेता चिराग पासवान ‘बिहार पहले, बिहारी पहले’ में विश्वास रखते हैं। जो लोग इस सोच के साथ नहीं हैं वे बिहार को आगे नहीं ले जा सकते हैं।”
एक अन्य एलजेपी नेता ने कहा कि कई नेताओं का मानना है कि स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने से पार्टी संगठन को पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी। वहीं भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा: “लोजपा कहीं नहीं जा रही है। हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने हाल ही में राज्य कार्यकारिणी की बैठक के दौरान स्पष्ट कहा था कि भाजपा-जेडीयू -एलजेपी का गठबंधन एक शानदार जीत संयोजन बनाती है।”