बिहार चुनाव नजदीक हैं और राजनैतिक पार्टियां सीटों के गुणा-भाग में जुटी हैं। इसी के तहत पश्चिमी बिहार के दो जिलों सारण और सिवान पर भी सभी की नजरें टिकी हुई हैं। बता दें कि इन जिलों के तहत विधानसभा की 18 सीटें आती हैं। खास बात ये है कि इन जिलों पर दो बाहुबली नेताओं का खासा प्रभाव है। ये बाहुबली नेता हैं शहाबुद्दीन और प्रभुनाथ सिंह। दोनों नेता लालू प्रसाद यादव के करीबी माने जाते हैं।

अभी ये दोनों नेता जेल में हैं लेकिन इसके बावजूद सीवान और छपरा-सारण में इनके परिवार का दबदबा बना हुआ है। शहाबुद्दीन और प्रभुनाथ सिंह के बीच अदावत रही है और कई बार दोनों आमने-सामने आ चुके हैं। हालांकि राजद में आने के बाद से दोनों के बीच की तकरार खत्म हो गई है। ऐसे में यहां कि 18 सीटों पर राजद को फायदा मिलने की उम्मीद है।

छपरा-सारण और सिवान जिले में विधानसभा की जो 18 सीटें आती हैं, उनमें से सारण में अमनौर, बनियापुर, छपरा, एकमा, गरखा, मांझी, मढौरा, परसा, सोनपुर, तरैया सीट आती है। वहीं सिवान में बरहरिया, दरौली, दरौंधा, गोरियाकोठी, महाराजगंज, रघुनाथपुर, सिवान और जीरादेई शामिल हैं। अभी इनमें से 8 सीटों पर राजद, 5 पर जदयू, 3 पर भाजपा, एक पर कांग्रेस और एक पर सीपीआईएमएल का कब्जा है।

मोहम्मद शहाबुद्दीनः शहाबुद्दीन ने 1980 के दशक में अपराध की दुनिया में कदम रखा और यहां अपना दबदबा बनाने के बाद शहाबुद्दीन ने साल 1990 में निर्दलीय विधायक के तौर पर राजनीति में एंट्री की। इसके बाद शहाबुद्दीन की लालू प्रसाद यादव के साथ नजदीकी बढ़ गई और 1995 का विधानसभा चुनाव शहाबुद्दीन ने राजद के टिकट पर लड़ा। साल 1996 से लेकर 2004 तक शहाबुद्दीन ने लोकसभा के चार चुनाव जीते। तेजाब कांड में शहाबुद्दीन फिलहाल जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।

शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब फिलहाल सिवान सीट से चुनाव लड़ चुकी हैं। हालांकि उन्हें जीत नहीं मिली है। शहाबुद्दीन का बेटा ओसामा शहाब भी इन दिनों छात्र राजनीति में सक्रिय बताया जाता है।

प्रभुनाथ सिंहः बिहार के सारण और छपरा इलाके में प्रभुनाथ सिंह का दबदबा है। प्रभुनाथ सिंह ने पहली बार साल 1985 में विधानसभा चुनाव जीता था। साल 2004 के लोकसभा चुनाव में प्रभुनाथ सिंह ने जदयू के टिकट पर जीत हासिल की लेकिन बाद में साल 2012 में वह राजद में शामिल हो गए। फिलहाल मशरख से विधायक रहे अशोक सिंह की 1995 में हत्या के आरोप में प्रभुनाथ सिंह उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। हालांकि सारण-छपरा सीट पर अभी भी प्रभुनाथ सिंह और उनके परिवार के लोगों का प्रभाव है।