बिहार विधानसभा चुनाव में पहले चरण मतदान के लिए अब महज 15 दिन बाकि हैं। एनडीए और भाजपा समेत सभी राजनीतिक दल अपने-अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर रहे हैं। एनडीए में भाजपा जहां अपने परंपरागत अगड़े वोटों जबकि सीएम नीतीश पिछड़े समुदाय के वोटों के अपने पक्ष में पड़ने की उम्मीद कर रहे हैं।
वहीं, राजद अपने परंपरागत यादव और मुस्लिम वोटों के समीकरण के सहारे एक बार फिर जीत की आस में हैं। इन सब के बीच ऐसा लग रहा है जैसे अल्पसंख्यकों की पसंदीदा माने जाने वाली कांग्रेस का इस समुदाय पर भरोसा कम हो रहा है। पार्टी इस बार बिहार में 70 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। पार्टी की तरफ से अब तक जारी 21 उम्मीदवारों की सूची में एक भी अल्पसंख्यक उम्मीदवार को टिकट नहीं मिला है।
इस संबंध में राज्य के लोगों का मानना है कि सबसे पुरानी पार्टी अब अल्पसंख्यक वोटरों में अपना विश्वास खो रही है। ऐसा पार्टी के टिकट बंटवारे से साफ झलकता है। स्थानीय नागरिक शमीम हसन कहते हैं कि कांग्रेस का विश्वास इसलिए उठ गया है क्योंकि उसे राज्य में बहुत सीटों पर हार का सामना करना पड़ रहा है।
वहीं, जदयू, एलजेपी और राजद को सीटों पर जीत मिल रही है। ऐसे में मुस्लिम वोटर भी उन्हें ही तरजीह दे रहे हैं। चूंकि कांग्रेस राज्य में अन्य दलों को समर्थन कर रही है जो सरकार बना रहे हैं। ऐसे में लोगों का कांग्रेस में विश्वास भी कम हुआ है। इसी तरह पटना में रहने वाले आस मोहम्मद कहते हैं कि कांग्रेस को लगता है कि मुस्लिम बंधुआ मजदूर हैं और वो बिल्कुल वैसा ही करेंगे जैसा पार्टी चाहती है।
आस मोहम्मद ने कहा कि यह सभी लोगों को दिख रहा है कि अल्पसंख्यकों के साथ किस तरह का व्यवहार किया जा रहा है। अब वोटर पहले से अधिक जागरूक हो गया है। इस संबंध में बिहार कांग्रेस के नेता प्रेम चंद मिश्रा कहते हैं कि गठबंधन की मजबूरी के कारण हमें कम सीटें मिली हैं लेकिन हम दूसरे और तीसरे चरण में मुस्लिम उम्मीदवारों को तरजीह देंगे।
मालूम हो कि बिहार में तीन चरणों में 28 अक्टूबर, तीन नवंबर और सात नवंबर को मतदान होंगे। वहीं 10 नवंबर को मतगणना होगी। पहले चरण के तहत 28 अक्टूबर को राज्य के 71 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होगा जबकि तीन नवंबर को दूसरे चरण का मतदान 94 सीटों पर होगा। सात नवंबर को तीसरे चरण का मतदान 78 विधानसभा सीटों पर होगा।