Manoj CG ।
बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और राजद एक साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। बिहार की राजनीति का 20 साल पुराना पन्ना पलटकर देखें तो कांग्रेस के लिए यह सौदा घाटे का नजर आता है। आंकड़े बताते हैं कि कांग्रेस को मिली 70 सीटों में से 45 सीटों पर कांग्रेस को 20 साल में कभी जीत नहीं मिली है।इनमें से 12 सीटों पर या तो बीजेपी को जीत मिली है या फिर उसकी सहयोगी जदयू को।

इतना ही नहीं इन 70 में से 18 सीटों पर खुद गठबंधन का नेतृत्व कर रही राजद को भी पिछले 20 सालों में जीत नहीं मिली है। कांग्रेस के खाते में गई सीटों में से 23 सीटें ही ऐसी है जहां कांग्रेस को पिछली बार जीत मिली थी। चार सीटें ऐसी भी हैं जहां से कांग्रेस को 2015 में जीत मिली थी लेकिन अब उसे ये सीट सहयोगी दलों को देनी पड़ी है। वहीं दो सीट ऐसी भी है जहां राजद को जीत मिली थी लेकिन इस पर इन सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार चुनाव में उतरेंगे।

कांग्रेस के सूत्रों ने खुद इस बात को स्वीकार किया है कि पार्टी के लिए कुछ सीटों पर काफी चुनौती है लेकिन इन सीटों पर पार्टी ने मजबूत दावेदार भी उतारे हैं।  मसलन, कांग्रेस ने पूर्व जदयू नेता शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव को मधेपुरा की बिहारीगंज सीट से उतारा गया है, यहां जदयू की पकड़ काफी मजबूत है।

वहीं, पूर्व एलजेपी नेता काली प्रसाद पांडे को गोपालगंज की एक विधानसभा सीट से टिकट दिया गया है।बंकीपुर से पूर्व बीजेपी नेता शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे लव सिन्हा को टिकट दिया गया है। याद रहे कि कांग्रेस ने 2015 विधानसभा चुनाव में 41 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 27 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस चुनाव में महागठबंधन में जदयू भी शामिल थी।