कोरोना वायरस महामारी के शुरुआती दिनों और लॉकडाउन के बीच जब प्रवासियों मजदूरों ने श्रमिक ट्रेनों, निजी वाहनों या फिर पैदल चलकर बिहार लौटना शुरू किया तो राज्य सरकार ने प्रदेश में कोविड-19 फैलने के लिए प्रति चिंता जाहिर की। बाहर से आए प्रवासियों को क्वारंटाइन करना शुरू किया गया। तब राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश में कोरोना फैलने के आधे से भी ज्यादा मामलों के लिए प्रवासी मजदूरों को जिम्मेदार ठहराया।

मगर बिहार में कोरोना मामलों की बढ़ती संख्या एक अलग कहानी कहती है। बिहार में कोविड-19 के मामले एक जुलाई को 10,250 से बढ़कर 22 जुलाई को 30,066 हो गए। इनमें सिर्फ दो जिले ही कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित उन दस जिलों की सूची में शामिल थे, जिन दस जिलों में सबसे अधिक प्रवासी मजदूर वापस लौटे।

जिलेवार कोरोना के सबसे अधिक मरीज अभी पटना (4,479) में हैं। इसके बाद भागलपुर (1,859), मुजफ्फरपुर (1,382) सीवान (1,154), नालंदा (1,051), नवादा (898) का नंबर आता है। इन जिलों में पटना 21,433 और गया में 73,769 प्रवासी मजदूर लौटे हैं। अन्य जिलों में जहां प्रवासी बड़ी संख्या में लौटे हैं वहां कोरोना के कम मामले दर्ज किए गए हैं।

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मधुबनी में जहां 98,175 प्रवासी लौटे वहां कोविड-19 के अभी तक 718 मामले दर्ज किए गए हैं। ईस्ट चंपारण में 93,292 प्रवासी लौटे और वहां 678 संक्रमण के मामले दर्ज किए गए। इसी तरह कटिहार में 85,797 प्रवासी मजूदर लौटे और वहां 619 केस दर्ज किए गए। दरभंगा में 76,556 प्रवासी लौटे और कोविड-19 के अभी तक 545 मामले दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा वेस्ट चंपारण में 62,737 प्रवासी लौटे, जहां संक्रमितों की संख्या 913 है। अररिया में 60,926 प्रवासी लौटे, वहां 300 कोरोना पॉजिटिव हैं।

इसी तरह रोहतास में 59,739 प्रवासी मजदूर लौटे, वहां 1,051 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। पूर्णिया जिले में 59,171 प्रवासी मजदूर लौटे हैं और संक्रमितों का आंकड़ा 634 है। समस्तीपुर में 54,505 प्रवासी लौटे, जहां अभी तक 827 मामले दर्ज किए गए हैं।