सूबे बिहार के पुलिस महकमे में व्यापक परिवर्तन के वास्ते कई कड़े फेरबदल के फैसले लिए जा रहे है। और बिना देरी के इनपर अमल भी कराया जा रहा है। इन्हीं में से एक नियम दागी थानेदारों को हटाना है। जिसकी गुरुवार 8 अगस्त आखिरी तारीख पुलिस मुख्यालय ने तय की थी। जानकार बताते है कि करीबन चार सौ से ज्यादा ऐसे दागी थानेदार जिनमें इंस्पेक्टर व सबइंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी है को आज एक झटके में हटा दिया गया है। इससे पहले बिहार के 24 डीएसपी रैंक के दागी अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है।
इसके बाद दूसरा आदेश यह निकला है कि ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए किसी बाहरी दबाव या सिफारिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी। साथ ही किसी पुलिस कांस्टेबल या अधिकारी की इस बाबत मजबूरी बताकर उनकी पत्नी के जरिए दिए आवेदन पर भी कोई विचार नहीं किया जाएगा। ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उनकी चरित्र पुस्तिका में भी यह दर्ज किया जाएगा। यह आदेश अपर पुलिस महानिदेशक मुख्यालय जितेंद्र कुमार के दस्तखत से निकला है।
दागी थानेदारों को हटाने के आदेश के तहत ही भागलपुर डिवीजन के भागलपुर, नौगछिया और बांका ज़िलों में तैनात दो दर्जन के करीब दागी थानेदारों को थानेदारी से एसएसपी व एसपी ने हटा दिया है। इनकी जगह नए थानेदार तैनात होने है। जिनकी सूची भी तैयार हो चुकी है। इन्हें भी अपना कार्यभार संभालना है। यह पुलिस मुख्यालय से मिले आदेश के तहत किया जा रहा है।
डीआईजी विकास वैभव बताते है कि हटाए जा रहे थानेदारों में सबइंस्पेक्टर और इंस्पेक्टर है। पुलिस मुख्यालय से मिले दिशा निर्देश के मुताबिक हटाए जा रहे दागी थानेदारों को कानून-व्यवस्था के काम में लगाया जा सकता है। आदेश के मुताबिक आठ अगस्त तक इस पर अमल हो जाना है। इन दागियों में वैसे है जिन्हें तीन या तीन से ज्यादा दफा अपनी नौकरी के दौरान दंड मिल चुका हो। या किसी मामले में उनकी भूमिका संदिग्ध पाई गई हो। ऐसा बिहार के हरेक ज़िलों के एसएसपी व एसपी हिदायत है।
दरअसल राज्य की बिगड़ती कानून-व्यवस्था और लगातार हो रही अपराध की वारदातों व शराब की तस्करी की वजह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चिंता जताई है । और तीन दफा राज्य के पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडे के साथ समीक्षा बैठक की। और अपराधों को काबू पाने के लिए जरूरी दिशा निर्देश दिए। उसी के तहत यह देखा गया कि थाना स्तर पर भी कई तरह की गड़बड़ी है। मामले लंबित पड़े है। अपराधी छुट्टे घूम रहे है।
लंबित मामलों को निपटाने के लिए अलग अनुसंधान विंग बनाया गया। अपराधियों को सजा दिलाने और फरार अपराधियों को दबोचने में तेजी लाई गई। पुलिस के एक बड़े अधिकारी कहते है कि एसपी अपने स्तर से निचले अधिकारियों की नकेल कस ईमानदारी से काम ले सकते है। इसके अलावा समीक्षा में यह भी तय हुआ था कि जिनका सर्विस रेकॉर्ड दागी रहा है उनकी स्कूटनी कर एसपी अपने स्तर से सूची तैयार करे। और वैसों को यदि वे तैनात है तो उन्हें फौरन थानेदारी से हटाए। बल्कि उन्हें आगे भी थानेदार के तौर पर तैनात न किया जाए।
साथ ही योग्य सबइंस्पेक्टर और इंस्पेक्टरों जिनकी छबि साफ सुथरी हो उनकी भी सूची एसपी तैयार करे और उनमें से उन्हें थानेदार के तौर पर तैनात किया जाए। ऐसा मुख्यालय से मिले निर्देश में है। इसके अलावे जारी दूसरे परिपत्र में बिहार सरकार और पुलिस नियमों का हवाला दिया गया है। बिहार सरकारी सेवक आचार नियमावली 1976 के नियम 22 में इसका जिक्र है। जिसमें लिखा है कि कोई सरकारी सेवक सरकार के अधीन किसी सरकारी सेवा से संबंधित किसी तरह का अपने हित साधने के लिए आलाधिकारियों पर कोई राजनीतिक व बाहरी दबाव न डालेगा और डालने की कोशिश करेगा। और न ही किसी सरकारी सेवक की समस्याओं का हवाला देकर उनकी पत्नी के दिए आवेदन पर विचार किया जाएगा।
इतना ही नहीं परिपत्र में आगे उल्लेख किया गया है कि 17 जनवरी 2006 को बने नियम का पालन करना होगा। जिसके तहत सरकारी सेवा से जुड़ी कोई समस्या (सेवा शर्तों), ट्रांसफर या पोस्टिंग से संबंधित आवेदन उचित माध्यम के जरिए ही देना होगा। पुलिस के मामले में सिपाही या अधिकारी अपने नियंत्री (कंट्रोलिंग) अधिकारी को आवेदन करेंगे। नियंत्री अधिकारी ऐसे आए दरखास्त को यदि अपने स्तर से निपटान के लायक हो तो बिना देरी के निपटाएंगे। अन्यथा अपना मंतव्य , अनुशंसा या असहमति जो उचित समझे दर्ज कर अपने वरीय अधिकारी को भेजेंगे। किसी भी हालत में वे ऐसे आवेदन को लंबित नहीं रखेंगे। इस बात की एक तरह से हिदायत भी है।
दरअसल इन दिनों पुलिस महकमा में ट्रांसफर- पोस्टिंग और सेवा शर्तों से जुड़ी बातों को लेकर आलाधिकारियों पर तरह-तरह से दबाव डलवाए जाने की खबरे मिल रही थी। उच्च अधिकारी भी इससे काफी परेशान थे। ज़िले से मुख्यालय तक इस काम की पैरवी करने और कराने वालों की भीड़ है। खासकर दागियों को थानेदारी से हटाने के मामले में ज्यादा पैरवी राजनीतिक लोगों से कराई जा रही थी। इसी वजह से पुलिस मुख्यालय को सख्त परिपत्र जारी करना पड़ा। ऐसा पुलिस के एक बड़े अधिकारी ने बताया है।
