बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 5 साल बाद फिर से जनता दरबार शुरू किया है। हर सोमवार को पटना में एक अणे मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास के पास ही जनता दरबार लगाया जा रहा है। जनता दरबार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लोगों की समस्याएं सुन रहे हैं। सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उस समय गुस्सा हो गए जब जनता दरबार में आए कई फरियादियों ने सरकार के अलग अलग विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और लापरवाही का मुद्दा उठाया। 

सोमवार को जनता दरबार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लोगों की समस्या सुन रहे थे। इसी दौरान एक युवक ने नीतीश कुमार के सामने शिकायत करते हुए कहा कि उसका बेटा और बेटी दोनों एक साथ पानी में डूबकर मर गए। दोनों बच्चे की मौत के बाद उसने मुआवजे के लिए आवेदन किया था। लेकिन अब अधिकारी मुआवजे का पैसा देने के लिए भी एक लाख रुपए की मांग कर रहे हैं।

युवक की इस शिकायत पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गुस्सा हो गए और युवक को उस अधिकारी का नाम बताने के लिए कहा। नीतीश कुमार ने कहा कि उस अधिकारी पर केस दर्ज किया जाएगा। इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तत्काल ही आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव को फोन कर युवक से सारी जानकारी लेने और जांच कर घूस मांगने वाले पर केस दर्ज करने के लिए कहा।

जनता दरबार के दौरान ही मधुबनी के बाढ़ विस्थापितों को जमीन ना मिलने का मुद्दा उठा। मधुबनी से ही आए एक शख्स ने नीतीश कुमार से कहा कि साल 2019 में कमला नदी में बाढ़ आने की वजह से करीब 52 परिवार विस्थापित हो गए थे। तब आपने ही गांव जाकर सभी परिवारों को जमीन का कागज दिया था लेकिन आज तक हम लोगों को जमीन नहीं आवंटित किया गया है। इसपर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तुरंत आपदा प्रबंधन विभाग से शिकायत दूर कर जमीन उपलब्ध करवाने के लिए कहा।

जनता दरबार में कुछ छात्र स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड नहीं मिलने की शिकायत लेकर भी पहुंचे थे। इसी दौरान एक बीएड छात्र ने क्रेडिट कार्ड नहीं मिलने का मुद्दा उठाया। छात्र ने नीतीश कुमार से कहा कि बीएड के छात्रों को इसका लाभ नहीं मिलता है। इसपर नीतीश कुमार ने कहा कि यह तो पहले से तय है कि किन किन छात्रों को क्रेडिट कार्ड का लाभ मिलेगा। नीतीश के इस जवाब पर छात्र ने कहा कि आपको लगता है कि बीएड करने के बाद भी छात्रों को नौकरी नहीं मिलेगी और वो इसका पैसा नहीं जमा कर पाएंगे। इसलिए बीएड छात्रों को क्रेडिट कार्ड नहीं मिलता है। छात्र के इस जवाब पर नीतीश कुमार भी अवाक नजरों से उसे देखने लगे। बाद में नीतीश कुमार ने छात्र को शिक्षा विभाग के पास भेज दिया।