बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में गुरुवार यानी जिन 121 सीटों के लिए मत डाले जा रहे हैं, उनमें कई पर रोचक समीकरण हैं। इनमें से 2020 में महागठबंधन ने 61 सीटें तो राजग ने 59 सीटों पर कब्जा जमाया था। ऐसे में पहला चरण दोनों ही गठबंधनों के लिए खास बन गया है। कई क्षेत्रों में जन सुराज और एआइएमआइएम के प्रत्याशी भी पूरा जोर लगा रहे हैं।

इस चरण में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कैबिनेट के 16 मंत्रियों की किस्मत दांव पर है। सम्राट चौधरी, तेजस्वी यादव, अनंत सिंह, मैथिली ठाकुर, तेज प्रताप यादव, विजय कुमार सिन्हा, खेसारी लाल यादव आदि प्रमुख उम्मीदवार हैं। प्रमुख सीटों पर एक निगाह …

तारापुर – उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी का भविष्य दांव पर

बिहार के उप मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सम्राट चौधरी तारापुर से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके सामने राजद के अरुण कुमार मैदान में हैं। मतदान से पहले, बसपा प्रत्याशी आशीष आनंद ने भाजपा उम्मीदवार सम्राट चौधरी को समर्थन देने की घोषणा की। पहले इस सीट से जद (एकी) के राजीव कुमार सिंह विधायक थे, जिन्होंने 2020 का चुनाव जीता था। यह जमुई लोकसभा सीट के तहत आता है और यहां रोजगार से लेकर सड़क संपर्क तक कई मुद्दे हैं।

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लखीसराय – जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा

इस सीट पर हाई-प्रोफाइल मुकाबला है। यह विधानसभा क्षेत्र भाजपा का गढ़ रहा है क्योंकि पार्टी के वरिष्ठ नेता और उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा 2010 से इस सीट से जीत रहे हैं। इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस के अमरेश कुमार और जन सुराज पार्टी के सूरज कुमार से होगा। सिन्हा ने 2020 में 74,000 से अधिक मतों से यह सीट जीती थी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सिन्हा के लिए प्रचार किया था।

छपरा – खेसारी के मैदान में आने से रोचक हुई जंग

राजद ने भोजपुरी कलाकार खेसारी लाल को मैदान में उतारा है। यहां उनका मुकाबला भाजपा उम्मीदवार छोटी कुमारी से है। हालांकि, भाजपा से बगावत कर चुनाव मैदान में पूर्व महापौर राखी गुप्ता निर्दलीय मैदान में उतरी हैं, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। इस सीट पर हार-जीत का सारा गुणा-गणित निर्दलीय प्रत्याशी राखी गुप्ता को मिलने वाले मतो पर टिका है। दूसरी ओर, जनसुराज पार्टी से जेपी सिंह भी मैदान में हैं।

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सहरसा – महागठबंधन में इंद्रजीत प्रसाद गुप्ता

इस सीट पर महागठबंधन में शामिल इंडियन इंक्लूसिव पार्टी (आइआइपी) के प्रमुख इंद्रजीत प्रसाद गुप्ता का मुकाबला भाजपा के आलोक रंजन झा से है। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में झा ने राजद के लवली आनंद को 19,679 मतों के अंतर से शिकस्त दी थी। वहीं, 2015 के बिहार चुनाव में राजद के अरुण कुमार यादव ने भाजपा के आलोक रंजन झा को 39,206 मतों से हराया था।

बछवाड़ा – कांग्रेस और भाकपा आमने सामने

बेगूसराय की बछवाड़ा सीट पर महागठबंधन के कांग्रेस व भाकपा और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर है। इस सीट पर 2020 के चुनाव में भाजपा के सुरेंद्र मेहता ने कांग्रेस के अवधेश कुमार राय को 500 से भी कम मतों के अंतर से पराजित कर, मंत्री बने थे। अनुभवी उम्मीदवारों के उतरने से इस सीट पर चुनावी जंग त्रिकोणीय हो गया है। कांग्रेस ने गरीब दास और जन सुराज ने रामोद कुंवर को सियासी समर में उतारा है।

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मोकामा – अनंत सिंह और सूरजभान सिंह की लगी प्रतिष्ठा

इस सीट से राजद उम्मीदवार वीणा देवी का मुकाबला जनता दल (एकी) के अनंत सिंह से है जो हत्या के एक मामले में न्यायिक हिरासत में हैं। वीणा देवी बाहुबली नेता सूरज भान की पत्नी हैं। अनंत सिंह के प्रचार के दौरान केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ लल्लन सिंह पर चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन में मामला दर्ज किया गया है। इस विधानसभा क्षेत्र से जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।

राघोपुर – मुख्यमंत्री के दावेदार तेजस्वी

राजद के नेता तेजस्वी यादव इस सीट से लगातार तीसरी जीत दर्ज करने की कोशिश में हैं। उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी भाजपा के सतीश कुमार हैं, जिन्होंने 2010 में जद (एकी) के टिकट पर तेजस्वी की मां और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को पराजित किया था। इस सीट पर जन सुराज पार्टी के चंचल सिंह को भी उम्मीदवार बनाया गया है। उधर, तेजप्रताप यादव की जनशक्ति जनता दल ने प्रेम कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर 19 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।

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दीघा – सुशांत सिंह राजपूत की ममेरी बहन लड़ रहीं चुनाव

भाकपा (माले) उम्मीदवार दिव्या गौतम का मुकाबला दो बार के भाजपा विधायक संजीव चौरसिया से है। दिव्या, बालीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की ममेरी बहन हैं। पत्रकारिता व जनसंचार और महिला अध्ययन में एमए करने वाली गौतम एक अकादमिक और रंगमंच कलाकार हैं। पहली बार चुनाव लड़ रहीं गौतम, नुक्कड़ सभा—गली-मोहल्लों की छोटी बैठक में महागठबंधन के घोषणापत्र में किए गए सरकारी नौकरियों के वादे को दोहराती हैं।

सीवान – मंगल पांडे बनाम अवध बिहारी चौधरी

भाजपा के वरिष्ठ नेता और मंत्री मंगल पांडे पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। वह सीवान सीट से मैदान में हैं, जहां उनका मुकाबला राजद के वरिष्ठ नेता और विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी से है। पांडे फिलहाल विधानसभा पार्षद हैं। चौधरी के साथ समाजिक समीकरण, राजद का कोर वोटबैंक और माले का जमीनी असर जुड़ा है। मुकाबला सीधा, रोचक और धारदार है हार जीत सिर्फ वोट की नहीं, इज्जत की भी है।

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रघुनाथपुर – साहाबुद्दीन का बेटा ओसामा चुनावी मैदान में

इस सीट से बाहुबली और पूर्व सांसद दिवंगत मोहम्मद साहाबुद्दीन के पुत्र ओसामा शहाब चुनाव लड़ रहे हैं। रघुनाथपुर 40 साल से साहाबुद्दीन का गढ़ रहा है, आज भी इस सीट पर साहाबुद्दीन के बेटे ओसामा को राजद ने चुनाव मैदान में उतारा है। बावजूद इसके कि इस सीट पर मौजूदा राजद विधायक हरिशंकर यादव दो बार जीत चुके हैं। इस बार उनका टिकट काटकर पार्टी ने ओसामा को प्रत्याशी बनाया है।

अलीनगर – लोक गायिका से लोक सेवक बनने की राह पर मैथिली

इस सीट से भाजपा ने लोक गायिका से नेता बनीं मैथिली ठाकुर को मैदान में उतारा है। उनके सामने राजद के बिंदू मिश्रा मैदान में हैं। जनसुराज पार्टी के विप्लव चौधरी संघर्ष को त्रिकोणीय धार देने में जुटे हैं। यह सीट दरभंगा लोकसभा क्षेत्र में है, जहां ब्राह्मण, यादव व मुसलिम मतदाता मिले-जुले हैं। 2020 के चुनाव में मिश्री लाल यादव ने जीत हासिल की। तब वह वीआइपी में थे व बाद में भाजपा में शामिल हो गए। यहां बाढ़ व खराब सड़कों की हालत बड़ी चुनौतियां हैं।

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महुआ – तेज प्रताप की किस्मत का होगा फैसला

राघोपुर सीट से सटी महुआ सीट पर तेजस्वी के बड़े भाई और जनशक्ति जनता दल के संस्थापक तेज प्रताप यादव बहुकोणीय मुकाबले में फंसे हैं। तेज प्रताप इस सीट पर राजद विधायक मुकेश रौशन को चुनौती दे रहे हैं। राजग के घटक लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के संजय सिंह और 2020 में दूसरे स्थान पर रहीं आसमा परवीन निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं जिससे मुकाबला दिलचस्प हो गया है। पारिवारिक कलह की वजह से यह सीट और भी अहम हो गई है।

अलौली – पासवान परिवार की विरासत की जंग

यह सीट पासवान परिवार की विरासत की जंग का गवाह बन रही है। इस सीट पर पशुपति कुमार पारस के पुत्र राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) के उम्मीदवार हैं। उनका मुकाबला जद (एकी) के रामचंद्र सदा से है। विपक्षी महागठबंधन ने रामवृक्ष सदा को अपना उम्मीदवार बनाया है। 2020 के विधानसभा चुनाव में लोजपा के रामचंद्र सदा को 26,386, जद (एकी) की साधना देवी को 44,410 और राजद के रामवृक्ष सदा को 47,183 मत प्राप्त हुए थे।

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आलमनगर – नीतीश के करीबी नरेंद्र नारायण यादव मैदान में

इसी सीट से सात बार विधायक रह चुके जद (एकी) के नरेंद्र नारायण यादव का मुकाबला इस बार विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) के नबीन कुमार से है। नरेंद्र ने पहली बार 1990 में राजद के टिकट पर जीत हासिल की थी। वह आठवीं बार विधायक बनने की दौड़ में हैं। 2014 में नीतीश कुमार के इस्तीफा देने के बाद मुख्यमंत्री की दौड़ में नरेंद्र नारायण यादव का नाम था, लेकिन आखिरी वक्त पर नीतीश कुमार ने जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया था।