जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। वहीं उनकी पार्टी के 8 नेताओं और 2,000 अज्ञात समर्थकों पर भी बुधवार को पटना में विरोध मार्च के दौरान हमला, दंगा और कर्फ्यू आदेशों का उल्लंघन करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। प्रशांत किशोर के अलावा पटना के सचिवालय थाने में दर्ज एफआईआर में जन सुराज के प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती, प्रवक्ता विवेक कुमार, एन.पी. मंडल, किशोर कुमार, अरविंद सिंह, ललन यादव, जितेंद्र यादव और यूट्यूबर मनीष कश्यप के नाम शामिल हैं।

FIR क्यों दर्ज की गई?

एफआईआर के अनुसार, अधिकारियों को 23 जून के विरोध प्रदर्शन से एक दिन पहले जन सुराज द्वारा विधानसभा पर धावा बोलने की योजना के बारे में जानकारी मिली थी और उन्होंने विधानसभा जाने वाले सभी रास्तों पर बैरिकेडिंग कर दी थी। सहकारी समितियों के सहायक रजिस्ट्रार कार्यालय में मुख्य सहकारी विस्तार अधिकारी संजय कुमार मिश्रा की शिकायत के आधार पर दर्ज एफआईआर में कहा गया है, “शुरू में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को शेखपुरा हाउस से बेली रोड होते हुए डुमरा चौकी, फिर आयकर गोलंबर और आर ब्लॉक तक जाना था। हालांकि, समूह डुमरा चौकी से एयरपोर्ट रोड होते हुए पटेल गोलंबर की ओर चला गया। करीब 2,000 की संख्या में जन सुराज पार्टी के नेता और कार्यकर्ता एयरपोर्ट रोड होते हुए पटेल गोलंबर के पास पहुंच गए।”

अचानक बदल दिया धरने का रास्ता

FIR में दावा किया गया है कि मार्च को चितकोहरा पुल होते हुए गर्दनीबाग धरना स्थल तक पहुंचना था, लेकिन यह टेलर रोड होते हुए पटना चिड़ियाघर के गेट नंबर 2 की ओर बढ़ गया। जब पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो भीड़ बैरिकेड तोड़कर एसएसजी गेट तक पहुंच गई।

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पुलिसकर्मियों से मारपीट का आरोप

एफआईआर में आगे आरोप लगाया गया है कि प्रदर्शनकारियों ने वहां तैनात पुरुष और महिला पुलिस अधिकारियों के साथ धक्का-मुक्की और मारपीट शुरू कर दी जबकि उन्हें बार-बार बताया गया था कि बिहार विधानसभा सत्र के मद्देनजर 21 जुलाई से 25 जुलाई तक भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू थी। FIR के अनुसार, “प्रदर्शनकारियों को कथित तौर पर गर्दनीबाग स्थित निर्धारित धरना स्थल पर जाने का निर्देश दिया गया था और ऐसा न करने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई थी। इसके बावजूद जुलूस निकालने वालों ने टेलर रोड और पटेल गोलंबर का आधा हिस्सा जाम कर दिया, जिससे लगभग दो घंटे तक यातायात बाधित रहा और आम जनता को काफी असुविधा हुई।”

क्या है प्रशांत किशोर की मांग?

जन सुराज ने तीन मांगों को लेकर विधानसभा में विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया था। इसमें गरीब परिवारों को 2 लाख रुपये का वितरण, भूमिहीन दलित परिवारों को तीन डिसमिल जमीन का आवंटन और भूमि सर्वेक्षण में कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई। अधिकारियों के अनुसार, पार्टी ने विरोध प्रदर्शन के लिए अनुमति नहीं ली थी और झड़प हो गई, जिसके बाद पुलिस को प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज करना पड़ा।

प्रशांत किशोर ने बुधवार को बाद में कहा कि जन सुराज प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा से मुलाकात कर औपचारिक रूप से अपनी मांगों की एक सूची सौंपी। उन्होंने आगे कहा कि अगर एक हफ्ते में मांगें पूरी नहीं हुईं, तो पार्टी मुख्यमंत्री आवास पर कब्जा करके एक और विरोध प्रदर्शन करेगी।