बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद ग्राउंड पर समीकरण क्या कहते हैं। इसको जानने और समझने के लिए C-VOTER ने एक सर्वे किया। सर्वे के मुताबित तेजस्वी यादव बिहार की जनता की पहली पसंद हैं। सर्वे में सबसे बड़ा सवाल रहा कि बिहार में मुख्यमंत्री की पहली पसंद कौन है? इस सवाल के जवाब में 43 फीसदी लोगों ने तेजस्वी यादव को बेहतर मुख्यमंत्री माना है। यह आंकड़ा अपने आप में मायने रखता है, क्योंकि इस महागठबंधन की सरकार में नीतीश को सीएम पद दिया गया है और तेजस्वी डिप्टी सीएम बन संतुष्ट हैं,

सी वोटर के सर्वे में तेजस्वी की लोकप्रियता में उछाल देखने को मिला है। अब तेजस्वी अगर ज्यादा लोकप्रिय बने हैं, तो नीतीश कुमार को नुकसान होता दिख रहा है। सर्वे के मुताबिक वर्तमान में नीतीश को सिर्फ 24 प्रतिशत लोग मुख्यमंत्री की पहली पसंद मान रहे हैं। वहीं अगर बीजेपी का कोई भी चेहरा मुख्यमंत्री बने तो उसे 19 फीसदी लोग अपनी पसंद बता रहे हैं।

सर्वे के मुताबिक, हर समुदाय में तेजस्वी यादव ने अपनी लोकप्रियता बढ़ाई है। सर्वे में जब पुरुषों की राय ली गई तो वहां भी नीतीश को झटका ही लगा। बिहार के 41.8 फीसदी पुरुष सीएम पद के लिए तेजस्वी को अपनी पहली पसंद मानते हैं। वहीं नीतीश के खाते में सिर्फ 23.8 फीसदी वोट जा रहे हैं। बीजेपी यहां भी सबसे ज्यादा पीछे चल रही है और सिर्फ 19.6 प्रतिशत पुरुषों का समर्थन मिल रहा है।

सर्वे के मुताबिक 44 फीसदी महिलाएं तेजस्वी को मुख्यमंत्री की पहली पसंद मान रही हैं। वहीं नीतीश को सिर्फ 23.3 फीसदी महिलाएं पसंद कर रही हैं। बीजेपी को 17.5 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं।

जातियों के आधार पर नीतीश से आगे तेजस्वी

अगर लोकप्रियता को जातियों के आधार पर बांट दिया जाए, तो यहां भी तेजस्वी, नीतीश कुमार से आगे निकलते दिख रहे हैं। ओबीसी वर्ग में जब मुख्यमंत्री को लेकर सवाल पूछे गए तो पहली पसंद तेजस्वी यादव बने। उन्हें 44.6 फीसदी लोगों ने सीएम की पहली पसंद बताया। वहीं नीतीश को सिर्फ 24.7 फीसदी लोगों ने पसंद किया है। ओबीसी वर्ग में बीजेपी सीएम को 18.4 फीसदी लोगों की स्वीकृति मिल सकती है।

सी वोटर के मुताबिक वर्तमान में 54 प्रतिशत मुस्लिम तेजस्वी को बेहतर सीएम मान रहे हैं। नीतीश को सिर्फ 30 फीसदी पसंद कर रहे हैं और बीजेपी तो इस रेस से ही बाहर चल रही है और वो 3.3 फीसदी पर सिमटती दिख रही है।

मुख्यमंत्री रेस में भी तेजस्वी आगे: सर्वे

बात अगर सीटों के आधार पर की जाए तो भी दिलचस्प आंकड़े निकलकर सामने आते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार ने एनडीए के पक्ष में जमकर वोटिंग की थी। तब एनडीए को 54 प्रतिशत वोट मिले थे, लेकिन 2022 अगस्त में ये आंकड़ा घटकर 41 फीसदी पर पहुंच गया है। मतलब तीन साल के अंदर में एनडीए को 13 फीसदी का नुकसान होता दिख रहा है।

वहीं जो नुकसान एनडीए को हो रहा है, उसका सीधा फायदा महागठबंधन उठा रहा है। इस गठबंधन को 2019 के लोकसभा चुनाव में 31 प्रतिशत वोट मिले थे। लेकिन अब जब जमीन पर समीकरण बदले हैं तो इसका फायदा भी महागठबंधन को होता दिख रहा है। इन्हें इस समय 46 फीसदी वोट मिलते दिख रहे हैं। यानी कि सीधे-सीधे 16 फीसदी का उछाल आ रहा है।