Bihar Politics: बिहार की दो विधानसभा क्षेत्रों के लिए उप चुनाव की घोषणा निर्वाचन आयोग ने कर दी है। मोकामा और गोपालगंज सीट पर तीन नवंबर को चुनाव होंगे। छह नवंबर को मतगणना होगी। इसके बाद दोनों सीट के परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे। इसके लिए सात अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक नामांकन पत्र दाखिल किया जाएगा। 17 अक्टूबर को नामांकन पत्र की वापसी हो सकती है।
ऐसे में गोपालगंज सीट की बात करें तो यह जहां बीजेपी के लिए साख का सवाल है तो आरजेडी के लिए भी उतनी ही अहम है। तेजस्वी यादव ने जब पिछला दौरा किया था उन्होंने यहां कई हजार करोड़ की योजनाओं की घोषणा की थी तो यह कहा जा रहा था कि इस बार यहां से आरजेडी अपना उम्मीदवार विधानसभा चुनाव में उतारेगी।
मंत्री सुभाष सिंह के निधन से खाली हुई गोपालगंज सीट
बता दें, गोपालगंज सीट मंत्री सुभाष सिंह के निधन से खाली हुई है। जिसके बाद अब इस पर उपचुनाव हो रहा है। वहीं बीजेपी उनकी पत्नी को टिकट देना चाहती है। यह भी कहा कि जा रहा है कि उनकी पत्नी पहले से ही चुनावी मैदान में उतर चुकी हैं और आशीर्वाद यात्रा कर रही हैं। वो लोगों के घर जाकर उनसे मुलाकात कर रही हैं। यह भी कहा जा रहा है सहानुभूति का वोट उनके पाले में हो सकता है।
पिछले चुनाव में कांग्रेस ने यहां से चुनाव लड़ा था। अगर बिहार विधानसभा के पिछले उपचुनाव पर गौर करें तो ये बात सामने आएगी कि कांग्रेस ने आरजेडी के खिलाफ अपना उम्मीदवार उतारा था। भले ही वो महागठबंधन में साथ हो।
ऐसे में अगर इस बार भी गोपालगंज सीट पर कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी उतारा तो आरजेडी को मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन ये भी कहा जा रहा कि आरजेडी इस बार गोपालगंज सीट पर चुनाव लड़ना चाहती है। इसी के साथ एक सीमकरण यह भी है कि अगर मोकामा सीट आरजेडी के खाते में जा सकती है तो फिर यह हो सकता है कि बड़े घटक दल के तौर पर गोपालगंज की सीट जेडीयू के पास चली जाए, लेकिन इन सबको लेकर अभी फैसला होना बाकी है।
यहां एक बात यह भी गौर करने वाली है कि पिछले विधानसभा चुनाव में बहुजन समाजवादी पार्टी से साधु यादव चुनाव लड़े थे। जिनका जीत-हार के फैसला पर काफी प्रभाव था। इस बार भी यह कहा जा रहा है कि साधु यादव फिर से इस सीट पर बड़ा खेल कर सकते हैं। किसी भी पार्टी की जीत-हार के लिए वो एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
बीजेपी को लगता है कि सहानुभूति वोट की बदौलत और जिस तरह से तमाम फैक्टर के बाद लगातार सुभाष सिंह वहां से चुनाव जीतते रहे तो इस तरह से बीजेपी अपनी जीते पक्की कर लेगी। वहीं ऐसे में आरजेडी या जेडीयू इस सीट पर अपना प्रत्याशी उतारती है, तो इससे बीजेपी को नुकसान हो सकता है तो वहीं वीआईपी पार्टी अपना प्रत्याशी मैदान में उतारती है और साधु यादव भी चुनाव लड़ते हैं तो वोटों में सेंधमारी होगी। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि गोपालगंज की सीट किसके खाते में जाएगी।
अंनत सिंह की सदस्यता समाप्त होने के बाद रिक्त हुई मोकामा सीट
वहीं मोकामा सीट पर बाहुबली अनंत सिंह विधायक थे। एके-47 घर में रखने और अन्य आपराधिक मामलों में सजायाफ्ता होने के बाद अनंत सिंह की सदस्यता समाप्त हो गई । बता दें, मोकामा का उपचुनाव बिहार की राजनीति को लेकर बड़ा दिलचस्प होगा। मोकामा की सीट से अनंत सिंह की पत्नी के चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही है। इस सीट को हासिल को करने के लिए आरजेडी पूरी ताकत झोंक देगी। ऐसे में महागठबंधन में आने के बाद अनंत सिंह के धुर विरोधी जदयू नेताओं को भी समर्थन करना पड़ेगा। पिछले चुनाव में अनंत सिंह ने जेडीयू के प्रत्याशी को हराकर विजय हासिल की थी।