बिहार चुनाव के लिए महागठबंधन में कई दौर की बैठकों के बाद भी राजद और कांग्रेस के बीच पांच सीटों पर असहमति के कारण सीट शेयरिंग पर बात नहीं बन पाई है। सूत्रों की मानें तो ये पांच सीटें- बैसी (पूर्णिया), बहादुरगंज (किशनगंज), रानीगंज (अररिया), कहलगांव (भागलपुर) और सहरसा हैं।
साल 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में राजद ने रानीगंज, सहरसा और बैसी से चुनाव लड़ा, जबकि कहलगांव और बहादुरगंज कांग्रेस के खाते में गए। इन सीटों पर दोनों ही दलों को हार का सामना करना पड़ा था। सूत्रों ने बताया कि राजद कांग्रेस से कहलगांव और बहादुरगंज सीट चाहती है जबकि कांग्रेस इनके बदले रानीगंज, सहरसा और बैसी की डिमांड कर रही है।
दोनों पार्टियों के बीच बातचीत में शामिल एक सूत्र ने बताया, “बातचीत घंटों चली है, लेकिन पांच सीटें ऐसी हैं जिन पर राजद और कांग्रेस अभी भी आम सहमति बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस समय कोई भी पार्टी एक भी सीट नहीं छोड़ना चाहती क्योंकि सहयोगी दल बढ़ गए हैं और हर पार्टी को सीटों की संख्या कम करनी होगी।”
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दोनों दलों के बीच हुई अब तक की बातचीत की जानकारी रखने वाले एक नेता ने बताया कि राजद कांग्रेस को विश्वास में लिए बिना ही कहलगांव के टिकट का वादा एक यादव उम्मीदवार से कर चुकी है। इसी वजह से कांग्रेस नाराज है। बुधवार को तेजस्वी यादव ने अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत कहलगांंव से की, यह भी कांग्रेस को नागवार गुजरा। रैली में तेजस्वी यादव के के साथ झारखंड के मंंत्री सजंय यादव के बेटे रजनीश यादव थे। माना जा रहा है कि राजद कहलगांव में उनपर ही दांव लगाना चाहती है।
किस सीट पर कौन जीता?
पिछले बिहार विधान सभा चुनाव में बीजेपी के पवन कुमार यादव ने कहलगांव विधान सभा में कांग्रेस के शुभानंद मुकेश को 42,893 वोटों से हराया था। रानीगंज में जदयू के अचमित ऋषिदेव ने करीबी मुकाबले में राजद के अविनाश मंगलम को 2,304 वोटों से मात दी थी।
सहरसा में बीजेपी के आलोक रंजन झा ने राजद की लवली आनंंद को 19,679 वोटों से हराया जबकि बैसी में AIMIM के सैयद रुकनुद्दीन अहमद ने बीजेपी के विनोद कुमार को 16,373 वोटों से हराया। यहां राजद के प्रत्याशी अब्दुस शुभान तीसरे नंंबर पर रहे। सैयद रुकनुद्दीन अहमद चुनाव जीतने के बाद वर्ष 2022 में राजद में आ गए।
बहादुरगंज विधानसभा सीट पर 2020 में भी AIMIM ने जीत दर्ज की थी। यहां AIMIM के मोहम्मद अंजार नईमी ने वीआईपी के लखन लाल पंडित को 45,215 वोटों से हराया। यहां कांग्रेस के मोहम्मद तौसिफ आलम तीसरे नंबर पर रहे। यहां दो साल बाद AIMIM के मोहम्मद अंजार नईमी राजद में शामिल हो गए।
बिहार के सीएम फेस को लेकर भी सवाल
राजद और कांग्रेस के बीच तेजस्वी को महागठबंधन का सीएम फेस घोषित करने को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है। कांग्रेस ने सीएम चेहरे की घोषणा न करने की अपनी परंपरा को इसकी वजह बताया है, जबकि पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि उनके नेताओं को डर है कि अगर तेजस्वी को सीएम उम्मीदवार घोषित किया गया तो गैर-यादव ओबीसी वोट विपक्षी गठबंधन के खिलाफ एकजुट हो जाएंगे।
कांग्रेस पार्टी के एक सीनियर नेता ने बताया कि सभी जानते हैं कि अगर यादव समुदाय से कोई मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाया जाएगा तो बीजेपी के लिए गैर-यादव ओबीसी वोटों को एकजुट करना आसान होता है। हरियाणा में कांग्रेस के साथ भी ऐसा ही हुआ, जहां कोई आधिकारिक मुख्यमंत्री उम्मीदवार न होने के बावजूद, बीजेपी को जाट-विरोधी नैरेटिव का फायदा मिला। अगर तेजस्वी मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे तो भी ऐसा ही हो सकता है।
सीएम फेस पर तेजस्वी की पार्टी का क्या है कहना?
राजद का मानना है कि वो महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी है। इसलिए अगर महागठबंधन सत्ता में आता है तो मुख्यमंत्री पद को लेकर अंतिम फैसला उसी का होगा। एक सीनियर राजद नेता ने कहा कि अगर महागठबंधन जीतता है तो हमारे पास सबसे अधिक विधायक होंगे, इसलिए इस पर चर्चा का कोई मतलब नहीं है और हम इसी रुख पर कायम रहेंगे। कांग्रेस और अन्य छोटी पार्टियां डिप्टी सीएम पद के लिए उम्मीदवार हो सकती हैं।
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