कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी 29 अक्टूबर को बिहार विधानसभा चुनाव में अपने प्रचार अभियान की शुरुआत करेंगे। वह मुजफ्फरपुर के सकरा विधानसभा क्षेत्र और दरभंगा में महागठबंधन समर्थित प्रत्याशियों के समर्थन में दो संयुक्त जनसभाओं को संबोधित करेंगे। इन सभाओं में बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव भी उनके साथ मौजूद रहेंगे। वहीं, बिहार विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले आरजेडी नेता और महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने इंडियन एक्सप्रेस से अपने चुनाव पूर्व वादों, विपक्षी खेमे में लड़ाई और अन्य मुद्दों पर बात की।
10 लाख नौकरियों के वादे पर क्या बोले तेजस्वी यादव?
आपके 10 लाख नौकरियों के वादे ने चुनावों में आपके पक्ष में माहौल बदल दिया है, हालांकि आपके प्रतिद्वंद्वियों ने कहा है कि यह आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं है? इस सवाल के जवाब में तेजस्वी ने कहा, “आप अगर एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था चाहते हैं तो आपको रोज़गार सृजन करना होगा। रोज़गार आजीविका को स्वास्थ्य, शिक्षा और समग्र विकास से जोड़ता है। हम रोज़गार सृजन को एक निवेश के रूप में देखते हैं न कि लागत के रूप में। हम सामाजिक क्षेत्र, विशेषकर स्वास्थ्य और शिक्षा में, रोज़गार के अनेक अवसर पैदा कर सकते हैं। ये न केवल बड़े पैमाने पर रोज़गार पैदा करेंगे बल्कि हमारे स्कूलों, स्वास्थ्य सेवा केंद्रों, और पानी-बिजली की आपूर्ति को भी बेहतर और मज़बूत बनाएंगे। इसका कई गुना प्रभाव होगा।
आरजेडी नेता ने आगे कहा, “हम लागत के पहलू और इसे लागू करने के तरीकों पर विशेषज्ञों के साथ काम कर रहे हैं। हम उस मुख्यधारा की सोच को बदलना चाहते हैं जो रोज़गार को कम करने और श्रमिकों को एक खर्च के रूप में देखने की कोशिश करती है। हम रोज़गार सृजन को एक आर्थिक इंजन के रूप में देखते हैं।”
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प्रशांत किशोर सिर्फ़ मीडिया की उपज हैं- तेजस्वी यादव
जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर को आप कैसे देखते हैं? आप उनके बारे में बोलने से क्यों बचते हैं? इस सवाल के जवाब में आरजेडी नेता ने कहा, “उनके बारे में कहने को क्या है? क्या आप मुझे बता सकते हैं कि उन्होंने राज्य के लिए कोई ठोस काम किया है? वे सिर्फ़ मीडिया की उपज हैं, कोई जननेता नहीं। वे योजनाएँ बनाते और दूसरों को बेचते हैं। वे एक सलाहकार हैं जो पर्दे के पीछे से किसी के लिए भी काम करते हैं जो उन्हें पैसे देता है और उनके पास देने के लिए और कुछ नहीं है।”
अब जब आप आधिकारिक तौर पर महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं तो आप मतदाताओं से क्या कहना चाहेंगे? इस सवाल के जवाब में तेजस्वी ने कहा, “नौकरियां, नौकरियां और नौकरियां। बिहार को इसकी ज़रूरत है और हम इसे पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। 2020 में हमारे 10 लाख नौकरियों के वादे को ज़बरदस्त समर्थन मिला। अगस्त 2022 से जनवरी 2024 के बीच जब मैं उप-मुख्यमंत्री था, तब लगभग 5 लाख नौकरियां दी गईं।
तेजस्वी बोले- हम असली प्रतिद्वंदी से एक साथ लड़ रहे हैं न कि एक-दूसरे से
11 सीटों पर महागठबंधन दलों के बीच दोस्ताना मुक़ाबले के सवाल पर आरजेडी नेता ने कहा, “बिहार जटिल है। यह ऐसा राज्य नहीं है जहां एक ही फ़ॉर्मूला हर जगह काम करता हो। हर निर्वाचन क्षेत्र की अपनी अनूठी गतिशीलता, इतिहास और सामाजिक ताना-बाना होता है। किसी विशेष निर्वाचन क्षेत्र या क्षेत्र के लोगों के रुझान और आकांक्षाएं अलग-अलग हैं तो उनके पास राजनीतिक विकल्प ज़रूर उपलब्ध होंगे। हम इस सरकार को हटाने के अपने व्यापक उद्देश्य में एकजुट हैं लेकिन इस एकता के भीतर स्थानीय कारकों पर विचार करने की भी गुंजाइश है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम असली प्रतिद्वंदी से एक साथ लड़ रहे हैं न कि एक-दूसरे से।”
यह देखते हुए कि कांग्रेस अपनी पसंद की सीटें पाने में सफल रही और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) अपने प्रमुख मुकेश सहनी को महागठबंधन के उपमुख्यमंत्री चेहरे के रूप में पेश करने में सफल रही, क्या आपको लगता है कि वे कठिन सहयोगी रहे हैं? इस पर तेजस्वी ने कहा, “हर कोई जीतने के लिए चुनाव लड़ता है। चुनावी राजनीति का यही स्वभाव है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है। हर पार्टी अपनी सीटों का चुनाव करती है और गठबंधन में अपनी ताकत और नज़रिया लाती है।”
उन्होंने आए कहा, “हम जानते हैं कि हमारी सफलता एक-दूसरे पर निर्भर करती है। एकता का मतलब हमेशा एकरूपता नहीं होता लेकिन रोज़गार, विकास, सामाजिक न्याय और खटारा एनडीए सरकार को हटाने जैसे बुनियादी मुद्दों पर हम एकमत हैं। हमारे सहयोगियों की आक्रामकता एक-दूसरे पर नहीं बल्कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर केंद्रित है।”
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