बिहार में नीतीश कुमार की तरफ से मंत्रिमंडल विस्तार के बाद जदयू-भाजपा के बीच मनमुटाव के संकेत मिल रहे हैं। राज्य में रविवार को 8 मंत्रियों के शपथ के बाद जनता दल यूनाइटेड ने राजभवन में इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था। इसमें भाजपा की तरफ से कोई भी नेता शामिल नहीं हुआ।

वहीं दूसरी तरफ उप मुख्यमंत्री और भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने भी इफ्तार पार्टी का आयोजन किया। सुशील मोदी की इफ्तार पार्टी में भी कोई जदयू का नेता मौजूद नहीं दिखा। केंद्र की सरकार में जदयू के शामिल नहीं के निर्णय के बाद बिहार में इस मंत्रिमंडल विस्तार को जदयू की तरफ से ‘जवाबी विस्तार’ बताया जा रहा है।

दूसरी तरफ नीतीश ने नए मंत्रिमंडल विस्तार में एक भी भाजपा या लोजपा नेता को जगह नहीं दी। इसके अलावा मंत्रिमंडल के विस्तार में 75 फीसदी पिछड़े और अतिपिछड़े वर्ग के नेताओं को जगह दी गई। बिहार में रविवार को हुए शपथ ग्रहण समारोह में राज्यपाल लालजी टंडन ने राजभवन मे जदयू के 8 नेताओं को मंत्री पद की शपथ दिलाई थी।

मंत्री पद की शपथ लेने वालों में नरेंद्र नारायण यादव, श्याम रजक, संजय कुमार झा, अशोक चौधरी, बीमा भारती, नीरज कुमार, रामसेवक सिंह और लक्ष्मेश्वर राय शामिल थे। नए मंत्रियों के विभागों का बंटवारा भी कर दिया गया। एक दूसरे की इफ्तार पार्टी में दोनों दलों की तरफ नेताओं का शामिल ना होना क्या इस बात के संकेत दे रहा है कि राज्य में भाजपा-जदयू में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है?

एनडीए में सब कुछ ठीकः शपथ ग्रहण समारोह के बाद राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सभी तरह की अटकलबाजियों को खारिज करते हुए कहा कि एनडीए में सबकुछ ठीक है। सीएम के तुरंत बाद राज्य के उप-मुख्यमंत्री ने ‘ऑल इज वेल’ की बात दोहराई। नीतीश कुमार का कहना था कि मैंने मंत्रिमंडल विस्तार से पहले भाजपा से बात कर ली थी। मैंने उनसे विस्तार में शामिल करने के लिए पार्टी की तरफ से नाम मांगा था। हालांकि, भाजपा ने कहा था कि वे अपने कोटे के मंत्री पद को बाद में भर लेंगे।