Rampur Bypoll: उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को रामपुर में होने वाले उपचुनाव के लिए 11 नवंबर के बाद नोटीफिकेशन जारी करने के निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के बाद आजम खान ने सजा के विरोध में रामपुर की सेशन कोर्ट में याचिका भी दायर कर दी है।

बता दें कि आजम खान की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया था कि निचली अदालत से रद होने के चलते इतनी जल्दी चुनाव कराने की क्या आवश्यकता है। जिसके बाद आजम खान के मामले में आज सुनवाई हुई जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को ये निर्देश दिए।

इसके पहले मंगलवार (8 नवंबर) को पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान की सदस्यता को लेकर चुनाव आयोग से सुप्रीम कोर्ट ने जवाब तलब किया था। आजम खान की सदस्यता रामपुर की एमपी एमएलए अदालत से रद कर दी गई है। रामपुर की एमपी एमएलए विशेष अदालत ने आजम खान को 3 साल की सजा सुनाने के साथ ही 8 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया है, जिसके बाद आजम खान की विधानसभा सदस्यता भी खत्म हो गई है। इस दौरान आजम खान अभी जमानत पर हैं।

42 सालों में ये पहला मौका जब आजम खान सदन के सदस्य नहीं थे

बता दें कि इसके पहले आजम खान को हेट स्पीच मामले में दोषी पाया गया था और उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई थी। आपको बता दें कि 42 सालों के बाद ये पहला मौका होगा जब आजम खान सदन के सदस्य नहीं हैं। एमपी एमएलए कोर्ट ने आजम खान को हेट स्पीच मामले में तीन साल की सजा सुनाई थी। मई महीने में ही आजम खान सीतापुर जेल से छूटे थे। उसके पहले आजम खान बीते 28 महीने से जेल में बंद थे। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने आजम खान का केस लड़ा था और सुप्रीम कोर्ट से उन्हें जमानत मिली थी।

बेटे अब्दुल्ला आजम की भी विधानसभा सदस्यता रद

आजम खान के साथ-साथ उनके बेटे अब्दुल्ला आजम की भी विधानसभा सदस्यता रद कर दी गई थी। बेटे अब्दुल्ला आजम पर उम्र छिपाकर चुनाव लड़ने का आरोप है। अब्दुल्ला आजम यूपी की स्वार टांडा विधानसभा सीट से विधायक थे जिनकी विधानसभा सदस्यता रद कर दी गई थी। हालांकि, अब्दुल्ला आजम ने वहां से फिर से चुनाव लड़कर जीत लिया और अब वो वहां के विधायक हैं, लेकिन पुरानी सदस्यता रद कर दी गई थी। इसको लेकर अब्दुल्लाह आजम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। अब्दुल्ला आजम पर आरोप है कि साल 2017 में चुनाव लड़ने के दौरान उनकी आयु 25 वर्ष से कम थी और उन्होंने गलत साक्ष्यों से अपनी उम्र गलत बताई थी।

उधर तेलंगाना हाईकोर्ट ने बीजेपी के निलंबित विधायक टी राजा सिंह को जेल से रिहा करने का आदेश दिया है। लेकिन शर्त रखी गई है कि वो जेल से बाहर आने के बाद कोई रैली या प्रेस मीट नहीं करेंगे।