उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव का बिगुल बज चुका है। चुनाव में अब तक भारतीय जनता पार्टी जिस रणनीति के साथ मैदान में उतरी है, उसकी काट फिलहाल विपक्ष के पास नजर नहीं आ रही है। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी एक दूसरे के पारंपरिक मतदाताओं को अपने पाले में करने पर अधिक केंद्रित नजर आ रहे हैं। हाल ही में अखिलेश यादव ने रायबरेली में कांशीराम की मूर्ति का अनावरण किया है, जबकि मायावती ने 17 में से 11 नगर निगमों में मुसलमानों को महापौर का टिकट दे कर सपा सुप्रीमो की पेशानी पर बल पैदा कर दिया है।
उत्तर प्रदेश को निकाय चुनाव के दौरान फतह करने की पूरी तैयारी के साथ भारतीय जनता पार्टी मैदान में उतरी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस चुनाव की अगुआइ कर रहे हैं। अपनी सरकार के छह साल की उपलब्धियों के साथ ही प्रदेश में माफिया और गुंडा राज का सफाया उनका मुख्य चुनावी मुद्दा है।
सोमवार को चुनावी सभाओं का सहारनपुर, श्यामली और अमरोहा में शंखनाद करने वाले योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की जनता के समक्ष एक बात साफ कर दी है कि उनकी सरकार में उत्तर प्रदेश में कोई अपराध करने के बारे में सोच भी नहीं सकता। उन्होंने अपनी तीनों सभाओं में दो-टूक संदेश दिए हैं। उन्होंने कहा, हमने कहा था गर्मी दूर कर देंगे। आज गर्मी दिखाने वालों का कहीं पता नहीं। जनता योगी के इस अंदाज को खासा पसंद भी कर रही है। वहीं अपने मंत्रियों को जिलों का प्रभारी बना कर जनता के बीच उनकी लोकप्रियता भी परखी जा रही है।
उधर, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी लोकसभा चुनाव के पहले एक दूसरे के पारंपरिक मतदाता को अपने पाले में करने का गुणाभाग पूरा करने की कवायद में हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पिछले दिनों रायबरेली में कांशीराम की मूर्ति का अनावरण कर बसपा के पारंपरिक मतदाता को रिझाने की कोशिश की है। उन्हें उम्मीद है कि ऐसा करने से बसपा का वोटबैंक उनके पाले में आ सकता है, जबकि टिकट बंटवारे को ले कर सपा कार्यकर्ताओं के बीच मची अन्तरकलह पार्टी के लिए बड़ी चुनौती की शक्ल अख्तियार करती जा रही है।
वहीं बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने उत्तर प्रदेश की 17 नगर निगमों में से 11 पर मुसलमान प्रत्याशियों को महापौर का टिकट दे कर समाजवादी खेमे में खलबली मचा दी है। बहनजी को लगता है कि इन दिनों सपा का पारंपरिक मतदाता उससे नाराज चल रहा है। इसका लाभ उठाने के लिए उन्होंने ये दांव चला है। उत्तर प्रदेश में हो रहे निकाय चुनाव के बारे में प्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह कहते हैं, भारतीय जनता पार्टी के मुकाबिल होने की ताकत विपक्ष के पास बची नहीं है। बलिया से बांदा तक, गोरखपुर से गाजियाबाज तक और आजमगढ़ से अलीगढ़ तक प्रदेश के हर क्षेत्र में जनता की अकेली पसंद भापा ही है।
उधर, समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य और वरिष्ठ नेता राजेंद्र चौधरी कहते हैं, इस बार के निकाय चुनाव परिणाम भारतीय जनता पार्टी को आईना दिखाने का काम करेंगे। उन्होंने कहा कि जिस तरह प्रदेश में विकास ठप है। सिर्फ फर्जी मुठभेड़ के नाम पर सस्ती लोकप्रियता बटोरने की कोशिशें सरकार की तरफ से हो रही हैं, उसकी हकीकत से चुनाव परिणाम योगी सरकार को रू-ब-रू कराएंगे।
समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी लोकसभा चुनाव के पहले एक दूसरे के पारंपरिक मतदाता को अपने पाले में करने का गुणाभाग पूरा करने की कवायद में हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पिछले दिनों रायबरेली में कांशीराम की मूर्ति का अनावरण कर बसपा के पारंपरिक मतदाता को रिझाने की कोशिश की है। उन्हें उम्मीद है कि ऐसा करने से बसपा का वोटबैंक उनके पाले में आ सकता है, जबकि टिकट बंटवारे को ले कर सपा कार्यकर्ताओं के बीच मची अन्तरकलह पार्टी के लिए बड़ी चुनौती की शक्ल अख्तियार करती जा रही है।