राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक 2014 से 2016 तक देश में पुलिस अत्याचार के कुल 411 मामले दर्ज किए गए हैं। जिनमें उत्तर प्रदेश पुलिस पर सबसे अधिक मामले दर्ज हैं। बता दें इन दो सालों में 236 से ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में ही दर्ज हुए हैं। उत्तर प्रदेश के बाद इस लिस्ट में दूसरा नाम दिल्ली पुलिस का है। जिसपर इन दो सालों में 63 मामले दर्ज हुए हैं। हालांकि उस दौरान दर्ज हुए मामलों में से सजा की दर न के बराबर रही है।

लिस्ट में उत्तर प्रदेश पर सबसे अधिक मामले: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक दो सालों में पुलिस अत्याचार के 411 मामले दर्ज किए गए हैं। इन मामलों में 57.4 प्रतिशत अकेले उत्तर प्रदेश पुलिस के थे। इन 236 मामलों में सजा केवल तीन लोगों को मिली थी। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में ही 2014 में पुलिसकर्मियों द्वारा मानवाधिकार उल्लंघन के 46 मामले सामने आए, जिनमें 39 मामले झूठ निकले थे।

2015 का रिकॉर्ड: सिर्फ 2015 में यूपी पुलिस पर ज्यादतियों के 34 मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें एक मामला झूठा निकला। वहीं 2014 के बाद 2016 में मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में वृद्धि हुई और 156 केस दर्ज किए गए। वहीं जांच में 69 मामले झूठे निकले। वहीं 39 पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किए गए।

क्या हैं मानवाधिकार उल्लंघन के मामले: बता दें कि मानवाधिकार उल्लंघन मामलों में लोगों के गायब होने, महिलाओं पर हमले, अवैध हिरासत या गिरफ्तारी, फर्जी मुठभेड़ और फिरौती जैसे मामले शामिल होते हैं।

विवेक तिवारी मामला: हाल ही में लखनऊ में सितंबर में एपल एग्जीक्यूटिव विवेक तिवारी को कथित तौर पर गाड़ी नहीं रोकने पर गोली मार दी गई थी। उस मामले में प्रदेश के स्पेशल पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि कॉनस्टेबल प्रशांत चौधरी ने बिना उकसावे के उस पर गोली चला दी थी जिसमें तिवारी की मौत हो गई थी।