अभी गर्मियां शुरू नहीं हुई हैं लेकिन कर्नाटक के बेंगलुरु में पानी का संकट गहराने लगा है। इस बीच कर्नाटक जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड ने बड़ा फैसला लिया है। बेंगलुरु के गंभीर जल संकट से निपटने के लिए कर्नाटक जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड ने कार धोने, बागवानी, निर्माण, पानी के फव्वारे और सड़क निर्माण और रखरखाव के लिए पीने के पानी के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। बोर्ड के अनुसार आदेश का उल्लंघन करने पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
बेंगलुरु में हजारों बोरवेल सूख गए हैं, जिससे पानी का संकट पैदा हो गया है। पिछले 2-3 हफ्तों में बेंगलुरु के कुछ इलाकों में जल संकट गहराने के कारण निजी टैंकर के पानी की कीमतें तीन गुना हो गई हैं। बेंगलुरु शहरी जिला प्रशासन ने गुरुवार को क्षमता और जहां से आपूर्ति की जाती है, उसकी दूरी के आधार पर प्रत्येक लोड की कीमत तय कर दी है।
बेंगलुरु को रोजाना पानी की आवश्यकता में 1,500 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रति दिन) से अधिक की कमी का सामना करना पड़ रहा है। शहर में रोजाना 2,600 एमएलडी से 2,800 एमएलडी के बीच पानी की जरूरत पड़ती है। इस संकट ने राजनीतिक बयानबाजी भी बढ़ा दी है। विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रभावी जल प्रबंधन उपायों को लागू करने में कथित विफलता के लिए कांग्रेस सरकार पर निशाना साध रहे हैं। बीजेपी नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर कर्नाटक सरकार एक हफ्ते के भीतर निर्णायक कार्रवाई नहीं करती है तो विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली सरकार ने नियंत्रण कक्ष और हेल्पलाइन नंबरों की घोषणा की है। राज्य में सूखे की स्थिति से निपटने के लिए स्थानीय विधायकों की अध्यक्षता में टास्क फोर्स का गठन किया गया है। राज्य के 236 में से 223 तालुकों में इसका गठन किया गया है।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जनता को आश्वासन दिया कि सरकार जल संकट से निपटने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। इस बीच पानी के टैंकरों की लागत लगातार बढ़ रही है। ये ₹1,000 से बढ़कर ₹1,500 हो गई है और ₹2,000 तक पहुंच गई है। इस साल अधिक भीषण गर्मी की आशंका के साथ सरकार का अनुमान है कि कर्नाटक के 7,082 गांवों के साथ-साथ बेंगलुरु शहरी जिले के 1,193 वार्डों में आने वाले महीनों में पेयजल संकट का खतरा होगा।