चुनाव में दिल्ली मॉडल पेश करने को लेकर भाजपा और आम आदमी पार्टी की सरकार के बीच सोशल मीडिया में लगातार वार-पलटवार हो रहा है। लेकिन कभी-कभी छोटी चूक भी सामने वाले को बड़ा मौका दे देती है। हुआ यूं कि दोनों पार्टियों के बीच चल रही खींचतान में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से एक फोटो के साथ देश के शिक्षा मॉडल को समझाने की बात की गई। लेकिन हड़बड़ी में गड़बड़ी यह हुई कि फोटो दिल्ली के सरकारी स्कूल का लगा दिया गया। अब क्या, आम आदमी पार्टी ने झट से मौके को लपक लिया और चुटकी लेते हुए सोशल मीडिया में ही प्रधानमंत्री को दिल्ली सरकार के स्कूल की फोटो प्रयोग करने के लिए धन्यवाद दे डाला। बेदिल ने किसी से सुना कि इससे संदेश गया कि देश भर में दिल्ली के स्कूल ही दिखाने को सबसे बेहतर हैं।
बस भाई बस!
सड़क पर सार्वजनिक परिवहन की बसों की कमी के कारण व्यस्त समय में घंटों बसों की बाट जोहने पर मजबूर दिल्ली वालों के लिए सरकार की इस बाबत ‘मरहम लगाने की पहल’ राहगीरों की नजर में ऊंट के मुंह में जीरा है। दरअसल, बीते दिनों दिल्ली के परिवहन मंत्री ने 32 बसों को बेडेÞ में किया शामिल किया था। इन बसों को ‘दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी मॉडल ट्रांजिक सिस्टम लिमिटेड’ की क्लस्टर योजना के तहत राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर उतारा गया, जबकि 3000 से ज्यादा और बसों की अभी दरकरार है।
बसों के इंतजार में खड़े कई राहगीरों को जब फूलों से सजी इनमें से एक बस पर नजर गई तो वे इसकी वजह के बारे में पूछने लगे। जब जानकारी मिली तो उन्होंने सरकार को न केवल कोसना शुरू कर दिया बल्कि इसे ऊंट के मुंह में जीरा तक बता दिया। किसी ने ठीक ही कहा- 3000 जगह के बल 32! कम से कम एक बार में 320 बसों को भी उतारा जाता तो कुछ समझ में आता! दूसरी ओर फिटनेस और समय पूरा हो जाने के चलते दिल्ली की सड़कों से लगातार बसें हटती भी जा रहीं हैं। इस पर एक महिला राहगीर की टिप्पणी ने भी लोगों का ध्यान खींचा, कहा-इसी रफ्तार से बसें लाई जाती रहीं तो जल्द ही दिल्ली में महिलाओं के लिए केवल मुफ्त बस यात्रा वाली योजना केवल नारा ही रह जाएगा!
बिल का बवाल
बरसों पहले बंद हो चुकी औद्योगिक इकाईयों के बिजली के बिल के भुगतान की फाइलों का काम इन दिनों औद्योगिक महानगर नोएडा और ग्रेटर नोएडा में एकाएक तेज हो गया है। बरसों पहले बिजली कट जाने के बाद जारी हुए अंतिम बिल के सापेक्ष भुगतान नहीं करने पर विभाग की तरफ से आरसी जारी की गई थी। वसूली करने वाले अमीनों के हुए स्थानांतरण और इकाईयों के बंद होने से अभी तक बिजली बिल का भुगतान नहीं हुआ है।
अब इन बिलों से संबंधित फाइलों के गुम होने की बात बताकर बिल को पुन: मूल्यांकन के लिए दलालों का एक गिरोह सक्रिय हो गया है, जो पहले से निर्धारित हुए बिल को आधे में निपटाने का दावा कर रहे हैं। जैसा की पता है कि बकाए बिल पर विभाग ब्याज लगाता है। उसके बाद अंतिम बिल जारी करता है। काफी मामलों में भुगतान सात से आठ साल तक नहीं किए जाने से मूल बिल की रकम से काफी ज्यादा रकम ब्याज की हो जाती है। बेदिल को पता चला है कि दलाल इसी ब्याज की रकम में कर्मचारियों से घालमेल कर करीब आधी रकम का नया बिल बनाकर विभाग को लाखों से करोड़Þों रुपए का चूना लगा रहे हैं। इस घालमेल में शामिल उद्यमी, दलाल और कर्मचारी सभी का लाभ होने से ऐसे मामले उच्चाधिकारियों तक नहीं पहुंचते हैं।
कुर्सी की चिंता
एक प्रमुख पार्टी के दिल्ली प्रदेश कार्यालय में पिछले कुछ दिनों से नेताओं और कार्यकर्ताओं की सक्रियता बढ़ गई है। आगामी दिनों में निगम चुनाव को लेकर नेताजी को उम्मीद है कि सक्रियता बढ़ाने से वरिष्ठ नेताओं और पदाधिकारियों के नजरों में आएंगे। यही कारण है कि छोटे-मोटे बैठकों में भी नेता और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं, जहां पहले कुर्सियां खाली पड़ी रहती थी। वहीं, बीते कुछ दिनों से पार्टी कार्यालय में लोगों को बैठने के लिए कुर्सियां कम पड़ने लगी हंै। इससे तो यही लगा रहा है कि नेताओं को कुर्सी की चिंता सताने लगी है। यही कारण है कि इन दिनों प्रदेश कार्यालय में चहल-पहल बढ़ गई है और लग रहा है कि पार्टी उन्हें उम्मीदवार तभी बनाएगी, जब प्रदेश कार्यालय में नेताओं और पदाधिकारियों के नजरों में वे आएंगे।
रौब वाली सेल्फी
पहले कभी अभिनेता के हस्ताक्षर यानी आॅटोग्राफ लेना बड़ी बात मानी जाती थी। फिर फोटो का जमाना आया तो इसमें अभिनेता के साथ नेताजी भी आ गए और इनके साथ फोटो खिंचवाना काफी बड़ी बात मानी जाने लगी। अब सेल्फी का जमाना है, अब गली में टिकटॉक के चर्चित भैय्याजी से लेकर इलाके के थाना प्रभारी के साथ भी लोग ‘स्माइल प्लीज’ वाली सेल्फी तुरंत खींच लेते हैं। लेकिन यह सेल्फी मौके पर बड़े काम आती है। इसलिए पिछले दिनों पुलिस मुख्यालय में नए आयुक्त के एक मेलमिलाप कार्यक्रम वाले दिन हर किसी के अंदर उनके साथ सेल्फी लेने का शौक दिखा। सभी चाह रहे थे कि विभाग के मुखिया के साथ सेल्फी आ जाए तो आगे भविष्य में कुछ रौब दिखाने के काम ही आएगा। इसे देखते हुए तभी किसी ने कहा कि कितना अच्छा होता अगर पुलिस मुख्यालय में सेल्फी प्वाइंट बन जाता।
शुरू चुनावी दौड़
नगर निगम के चुनाव को अभी छह महीने से ज्यादा समय बाकी है लेकिन यहां चुनाव को भांपते हुए सारे नेता बिल्कुल एक्टिव हो गए हैं। शहर के पहले नागरिक हों या फिर निगम के समितियों के अध्यक्ष। आजकल अधिकारियों के साथ ऐसी बैठकें कर रहे हैं जैसे शहर की सारी समस्या छह महीने के अंदर खत्म कर देंगे। ऐसे में अब उनके साथ काम कर रहे अधिकारी परेशान हो गए हैं। उनकी जैसे भूख-प्यास छिन गई है। बेदिल ने किसी को कहते सुना कि जो भागदौड़ और तत्परता नेता लोग पांच साल में दिखाए होते तो छह महीने में इतना काम नहीं करना पड़ता। अब नेताओं के साथ अधिकारी भी दौड़ रहे हैं तो कार्यालय के कई जरूरी काम भी देरी में हो रही है।
-बेदिल