संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा और राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन के बीच केंद्र ने रविवार को लद्दाख में नए उपराज्यपाल की नियुक्ति की है। भारतीय सेना के पूर्व ब्रिगेडियर और अरुणाचल प्रदेश के वर्तमान राज्यपाल बीडी मिश्रा को लद्दाख का एलजी नियुक्त किया गया है। उनसे पहले यहां राधा कृष्णन माथुर उपराज्यपाल थे। शनिवार को वे लेह स्थित अपने कार्यालय से कर्मचारियों को अलविदा कहकर चले गए थे।
कृष्णन माथुर ने छोड़ा उपराज्यपाल का पद
आज सुबह राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारत के राष्ट्रपति ने महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में भगत सिंह कोश्यारी और लद्दाख के उपराज्यपाल के रूप में राधा कृष्णन माथुर के इस्तीफे को स्वीकार कर लिया है। देश में रविवार को 11 राज्यों के राज्यपालों और केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के लिए उपराज्यपाल की नियुक्तियां की गई हैं।
सूत्रों का कहना है कि शनिवार को माथुर ने अचानक से कर्मचारियों से कहा कि वे जा रहे हैं। हालांकि, उन्होंने इसका कोई कारण नहीं बताया था। बताया गया कि उन्होंने अपना बैग पैक किया और कर्मचारियों को सूचित किया कि वह जा रहे हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि केंद्र की ओर से इस्तीफा देने के लिए कहा गया था या उन्होंने लद्दाखी लोगों द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन के बीच पद छोड़ने का विकल्प चुना है।
लद्दाख में अलग राज्य की मांग को लेकर चल रहा विरोध
कृष्णन माथुर ने लद्दाख में तीन साल के लिए उपराज्यपाल के तौर पर काम किया है। माथुर, एक पूर्व रक्षा सचिव हैं। उन्हें जम्मू और कश्मीर के बाद लद्दाख के पहले उपराज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था। लेह में जो लोग 2019 में लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिलने से खुश थे, अब वे केंद्रीय शासन के खिलाफ उठ खड़े हुए हैं। केंद्र शासित प्रदेश के दर्जे के तहत तीन साल के बाद लद्दाखी नेताओं का कहना है कि वे जम्मू और कश्मीर में बेहतर स्थिति में थे और वे नहीं चाहते कि इस क्षेत्र को स्थायी राज्यपाल शासन के तहत रखा जाए।