अयोध्या के राम लला मंदिर का ट्रस्ट एक बार फिर से विवादों में आ गया है। इस बार भक्तों के बीच बंटने वाले प्रसाद को लेकर मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट आमने सामने आ गए हैं। ट्रस्ट की ओर से गर्भ गृह में पुजारियों के राम मंदिर में भक्तों को प्रसाद बांटने पर रोक लगा दी गई है, जिसे लेकर मुख्य पुजारी बिफर पड़े हैं।
ट्रस्ट की तरफ से कहा गया कि राम मंदिर में पूजा के लिए आने वाले भक्तों को पुजारी प्रसाद ना बांटें। अब ट्रस्ट के इस फैसले पर आचार्य सत्येंद्र दास भड़क गए हैं और उन्होंने ट्रस्ट के इस फैसले पर सवालों की झडियां लगा दीं।
उन्होंने कहा, “अभी उस प्रकार से इतनी भीड़ भी नहीं है। शांतिपूर्वक सब हो रहा है, अब कह रहे हैं यहां से प्रसाद बंद कर दो और दूसरे लोग, जिनका कुछ पता नहीं कौन हैं, वो भक्तों को 200 गज की दूरी पर प्रसाद बांट रहे हैं, भगवान के सामने नहीं बांटा जा रहा है। वहां पुजारियों को रोक दिया गया प्रसाद बांटने से। ये कौन सी व्यवस्था है। अब भगवान का प्रसाद मंदिर में नहीं मिलेगा तो कहां पर मिलेगा।”
उन्होंने कहा कि भक्त प्रसाद मांग रहे हैं और उनसे मना किया जा रहा कि यहां नहीं मिलेगा, जिस वजह से लोग दुखी हो रहे हैं क्योंकि दर्शन के बाद तुरंत प्रसाद मिलता है। ट्रस्ट को लेकर भी पुजारी ने सवाल उठाए हैं और कहा कि समझ नहीं आता ट्रस्ट में कितने लोग हैं, जो भी आता है ट्रस्टी बन जाता है। उन्होंने यह भी सवाल किया कि राम मंदिर ट्रस्ट में कौन मालिक है और किसका आदेश चलेगा।
इस दौरान उन्होंने ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, सदस्य अनिल मिश्रा और संघ के प्रचारक रहे और फिलहाल मंदिर निर्माण के प्रभारी गोपाल राव का भी नाम लिया। आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा, “ट्रस्ट में कोई तो मालूम पड़े कि ये मालिक हैं कि गोपाल जी मालिक हैं, या मिश्रा जी या चंपत राय कौन है उसका मालिक।” उन्होंने कहा, “हम लोग तो जानते थे कि चंपत राय का आदेश चलेगा, लेकिन वहां चंपत राय जी का आदेश कुछ नहीं है, वे कभी ऐसा आदेश नहीं देते हैं। वहां एक हैं गोपाल राव जी, उनका ट्रस्ट में क्या है उसका भी पता नहीं। उनके आदेश को सभी को मानना पड़ेगा, जो वह कह देते हैं, वो ट्रस्ट भी मानता है और पुजारियों को भी मानना पड़ता है।”