विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान की रिहाई के बाद से एक बार फिर 1971 से पाकिस्तानी जेलों में बंद भारतीय जवानों की रिहाई की मांग उठ रही है। एक तरफ पाकिस्तान इन सैनिकों के अस्तित्व से इनकार करता रहता है। वहीं, करीब 54 युद्धबंदियों के परिजनों को अब भी उम्मीद है कि उनके परिवार के वीर जिंदा हैं और भारत वापस आएंगे।

ठीक नहीं है हालत: इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑल इंडिया डिफेंस ब्रदरहुड के अध्यक्ष हरवंत सिंह ने बताया कि 1971 की भारत-पाक जंग के दौरान करीब 54 भारतीय सैनिक अब भी पाकिस्तान जेल में बंद हैं। उनकी हालत ठीक नहीं है। किसी की मानसिक हालत ठीक नहीं है तो किसी की तबीयत काफी खराब है। वहीं, कुछ की संदिग्ध हालात में मौत की खबरें भी सामने आई हैं। पाकिस्तानी जेल में बंद 54 भारतीय सैनिकों को ‘मिसिंग 54’ कहा जाता है।

पाकिस्तान की है गलती: रिटायर्ड ब्रिगेडियर हरवंत सिंह बताते हैं कि 1971 में भारत-पाक जंग के दौरान पाकिस्तान के अधिकारियों ने इन कैदियों के डॉक्युमेंट्स सही तरीके से तैयार नहीं किए। इस मुद्दे को तत्कालीन प्रधानमंत्री के सामने उठाया गया था और उन्होंने परवेश मुशर्रफ से बात भी की थी। गलत डॉक्युमेंट्स की वजह से वे सैनिक आज भी कैद में हैं। क्या पाकिस्तान ने मिसिंग 54 को डॉक्युमेंटेड किया था। अगर वे ऐसा करते तो आज कई परिवारों को इतना कुछ नहीं सहना पड़ता।

कैसे बच गए अभिनंदन: IAF के विंग कमांडर के बारे में हरवंत कहते हैं कि  पाकिस्तान के पास अभिनंदन के होने के सबूत सोशल मीडिया पर आ गए थे। इसी वजह से अभिनंदन की रिहाई आसानी से हुई है। वहीं ,’मिसिंग 54′ के वक्त स्मार्टफोन्स नहीं थे, सोशल मीडिया नहीं था।

90 हजार के बदले 54 वापस न ले सके: ऑल इंडिया वेटरन कोर ग्रुप के अध्यक्ष रिटायर्ड ब्रिगेडियर एचएस गुलाम कहते हैं कि 1971 की जंग के बाद भारत ने शिमला समझौता के तहत पाकिस्तान के करीब 90 हजार सैनिकों और नागरिकों को लौटाया था, लेकिन मिसिंग 54 को वापस न ले सके।