राजनीति के अपराधीकरण पर कई बार चर्चाएं हुई हैं लेकिन जमीनी स्तर पर इस दिशा में कोई भी पार्टी कोई ठोस कदम उठाती हुई नहीं दिखाई दे रही है। ताजा मामला असम का है, जहां जल्द ही पंचायत चुनाव होने हैं। असम की धोलछेरा पंचायत के अध्यक्ष पद के लिए भाजपा के टिकट पर जिस व्यक्ति ने नामांकन किया है, उस पर मवेशियों की तस्करी का आरोप है। भाजपा के टिकट पर नामांकन करने वाले शहीदु्ल जमां को मवेशियों की तस्करी के आरोप में करीमगंज जिले की पुलिस गिरफ्तार भी कर चुकी है। शहीदुल जमां ने एक महीने से थोड़ा कम वक्त जेल में भी बिताया है। वहीं जब भाजपा नेताओं से एक आरोपी को उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर सवाल किया गया तो भाजपा विधायक रंजन दास ने बताया कि ‘उन्हें उसके खिलाफ ऐसे किसी मामलों की जानकारी नहीं थी।’ शहीदुल जमां का दावा है कि वह भाजपा की अल्पसंख्यक शाखा का सदस्य भी है।
गौरतलब बात ये है कि ना सिर्फ भाजपा बल्कि अन्य राजनैतिक पार्टियां भी इस मामले में पीछे नहीं है। धोलछेरा पंचायत सीट से ही असम गण परिषद ने जिस उम्मीदवार को मैदान में उतारा है, उस पर गैंडे के शिकार का आरोप है। बता दें कि असम गण परिषद राज्य सरकार के साथ गठबंधन में है, लेकिन पंचायत चुनावों में दोनों पार्टियों ने अलग-अलग उतरने का फैसला किया है। भाजपा और असम गण परिषद की तरह ही कांग्रेस ने भी पहले एक दागी को अपना उम्मीदवार बनाया था। कांग्रेस के उम्मीदवार के खिलाफ भी काजीरंगा नेशनल पार्क में एक गैंडे के शिकार का आरोप था। नामांकन के 24 घंटे के अंदर ही पार्टी ने उसका नामांकन रद्द करा दिया।
असम में आगामी 5 और 9 दिसंबर को पंचायत चुनाव होने हैं। इनके लिए भाजपा ने 55 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इस चुनावों के लिए नामांकन का आखिरी दिन सोमवार को था। असम के पंचायत चुनावों के पहले दौर में भाजपा का दबदबा रहा है। दरअसल पहले दौर में भाजपा के 140 उम्मीदवार तो निर्विरोध ही चुनाव जीत गए हैं। पहले दौर के लिए नामांकन की प्रक्रिया 15 नवंबर तक चली थी, जिसमें 20 जिलों में वोट डाले गए। असम के पंचायत चुनावों का नतीजा 11 जनवरी को घोषित किया जाएगा।