Assam NRC Final List: असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस की फाइनल लिस्ट जारी होने के साथ-साथ ही लाखों लोगों के मन में अपना सबकुछ खो जाने का डर पनप रहा है। इस लिस्ट में जिन लोगों के नाम नहीं हैं, वे अनिश्चितताओं के चलते खौफ में जी रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक असम के द्वारकुची में व्हीकल रिपेयरिंग का काम करने वाले नूर इस्लाम अली बीते छह महीनों से अपने कारोबार के लिए ही समय नहीं निकाल पा रहे हैं। एनआरसी में अपना नाम जुड़वाने के लिए उन्होंने 20 हजार रुपए उधार लेकर कई कार्यक्रमों के चक्कर काट लिए।
उधार पैसे लेकर जुटे एनआरसी मेंः दरअसल अली के दादा हुसैन अली का नाम 1971 की मतदाता सूची में था और उनकी दादी ताहिरा खातून का नाम 1966 की सूची में था। लेकिन 2018 में आई सूची में उनकी मां का नाम गायब था। वे कहते हैं, ‘हमें नहीं पता कि हमारा क्या होने वाला है, हमने सुना है कि हमसे राशन कार्ड छीन लिए जाएंगे।’ सरकार ने आश्वासन दिया है कि जिन लोगों के नाम लिस्ट में नहीं हैं उन पर तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी, इसके बावजूद लोगों में डर का माहौल है।
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भ्रष्टाचार का भी लगा आरोपः एक तरफ डर का माहौल है दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाने वाले मूल लोगों में शुमार असम पब्लिक वर्क्स के अभिजीत शर्मा ने आरोप लगायाा कि एनआरसी की अभी वाली लिस्ट में कई अवैध लोगों को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति के पास जाकर एक बार फिर लिस्ट के वेरिफिकेशन की मांग करेंगे। भ्रष्टाचार के चलते जो वास्तव में भारतीय हैं वे लिस्ट से बाहर हैं और जो नहीं हैं वे अवैध तरीके से शामिल हो गए हैं।
यूं बढ़ा लोगों का दर्दः टाइपिंग की गलतियों के चलते भी कई लोगों की नागरिकता सवालों के घेरे में आ गई है। कई परिवार ऐसे हैं जहां पत्नी का नाम लिस्ट में है और पति का नहीं, कहीं बेटे का है पिता का नहीं, इसी तरीके से परिवार के कुछ सदस्य लिस्ट में हैं और कुछ नहीं। यहां रहने वाले सद्दाम हुसैन ने कहा, ‘हम बाहरी नहीं हैं, हम काफी पहले यहां आ चुके हैं।’

