सर्वानंद सोनोवाल ने बुधवार को असम के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। इस शपथ ग्रहण सामारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए। असम में भाजपा की शानदार जीत का बड़ा श्रेय सर्बानंद सोनोवाल को जाता है। सोनोवाल पर पार्टी ने बड़ा सोच-समझ कर दांव खेला। नरेंद्र मोदी और अमित शाह के विश्‍वासपात्र सोनोवाल को भाजपा ने चुनाव से पांच महीने पहले ही दोबारा असम का प्रदेश अध्‍यक्ष बनाया था और जनवरी में मुख्‍यमंत्री पद का उम्‍मीदवार भी घोषित कर दिया। पार्टी को शानदार जीत की उम्‍मीद नहीं थी। सोनोवाल को जो टारगेट दिया गया था, उसके मुताबिक उन्‍हें असम में भाजपा का प्रदर्शन लोकसभा चुनाव से कम नहीं होने देना था। सोनोवाल ने इससे कहीं ज्‍यादा हासिल किया।

भाजपा ने बिहार, महाराष्‍ट्र, झारखंड, हरियाणा और जम्‍मू-कश्‍मीर से अलग नीति अपनाते हुए असम में चुनाव से पहले ही मुख्‍यमंत्री पद का उम्‍मीदवार घोषित किया तो इससे सोनोवाल ने जी-जान लगा कर मेहनत की। लोकसभा चुनाव में असम में भाजपा को 14 में से सात सीटें जिता कर कांग्रेस को इतिहास में सबसे कम (तीन) सीटों पर समेट देने का श्रेय सोनोवाल के ही नाम था। इसलिए पार्टी को उनकी योग्‍यता पर कोई शक नहीं था। तभी तो नरेंद्र मोदी ने उन्‍हें अपनी कैबिनेट में खेल मंत्री की कुर्सी भी दी थी। सर्बानंद सोनोवाल कछारी समुदाय (अनुसूचित जनजाति) से आते हैं। बताते हैं कि बचपन में उनके पास फुटबॉल खरीदने तक के पैस नहीं थे। वह बेदाग छवि के नेता हैं। असम में उनकी लोकप्रियता भी खूब है। पहले वह असम गण परिषद (एजीपी) में हुआ करते थे। 2011 में उन्‍होंने भाजपा का दामन थामा। वह 52 साल के हैं। उन्‍होंने अभी शादी नहीं की है। इस बारे में अभी फैसला लेना बाकी है।

 

सर्वानंद का राजनीतिक सफर

1992 से 1999 तक वह असम स्टूडेंट यूनियन प्रेसीडेंट रहे।
2001 में सर्वानंद ने असम गण परिषद का दामन थामा और उसी साल वो विधायक भी चुने गए।
2004 के लोकभा चुनाव में सर्वानंद डिब्रूगढ़ सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन सिंह को हराकर पहली बार लोकसभा के सांसद बने।
2011 असम गढ़ परिषद में हुई असमानताओं के चलते सर्वानंद भाजपा में शामिल हो गए।
2012 में उन्हें भाजपा की ओर से असम भाजपा अध्यक्ष बनाया गया।
2014 लखीमपुरा से सांसद चुने गए। मोदी सरकार में खेल एवं युवा मामलों के राज्य मंत्री बने।
2015 में फिर असम यूनिट के मुखिया बने।
जनवरी 2015 में असम विधानसभा चुनाव 2016 में भारतीय जनता पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार बने।
इनके नेतृत्व में भाजपा ने असम विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत के साथ कांग्रेस को हराया।