राजस्थान में सचिन पायलट (Sachin Pilot) और अशोक गहलोत के बीच के मतभेद फिर से कांग्रेस पार्टी के लिए बड़ी मुसीबत बनते नजर आ रहे हैं। मंगलवार को सचिन पायलट के करप्शन के खिलाफ प्रस्तावित एक दिवसीय उपवास से एक दिन पहले गहलोत कैबिनेट के मंत्री ने पार्टी कार्यकर्ताओं से ऐसे लोगों का समर्थन नहीं करने के लिए कहा है जो अशोक गहलोत के काम में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं।

सचिन पायलट ने रविवार को अशोक गहलोत सरकार पर बीजेपी शासन में हुए कथित भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करने में नाकाम रहने का आरोप लगाया था। इस दौरान उन्होंने करप्शन के खिलाफ एक्शन की मांग करते हुए एक दिवसीय उपवास का ऐलान किया था। सचिन पायलट के समर्थन में उनके कैंप के एक विधायक ने कहा कि पूर्व डिप्टी सीएम जनता के हित में करप्शन का मुद्दा उठा रहे हैं।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मंगलवार को होने वाले सचिन पायलट के धरने में शायद ही कोई विधायक या मंत्री शामिल हो लेकिन पूरे राजस्थान से हजारों की तादाद में उनके समर्थकों के शहीद स्मार्क पहुंचे की उम्मीद है। सियासी जानकारों की मानें तो सचिन पायलट ने यह कदम पार्टी के आला नेतृत्व पर साल के अंत में होने वाले चुनाव से पहले लीडरशिप के मामले पर प्रेशर क्रिएट करने के लिए लिया है।

रामलाल जाट ने बोला हमला

सचिन पायलट का नाम लिए बिना राजस्थान सरकार में राजस्व मंत्री रामलाल जाट ने कहा कि जो सीएम पद की रेश में हैं, उन्हें सोचना चाहिए कि पार्टी आलाकमान ने अशोक गहलोत को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया था। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने काम किया लेकिन एक व्यक्ति ने अपने गलत बयानों से सब ध्वस्त कर दिया।

मीडिया से बातचीत में रामलाल जाट ने कहा कि इसका क्या मतलब है? पार्टी कार्यकर्ताओं को यह सोचना चाहिए कि वह ऐसे लोगों का समर्थन न करें जिससे कांग्रेस पार्टी चुनाव जीत सके। ऐसे करने से हम आगे बढ़ सकेंगे। उन्होंने कहा कि सीएम अशोक गहलोत ने जबरदस्त बजट पेश किया, राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को भी राज्य में भरपूर समर्थन मिला और जब ऐसी चीजें होंगी तो इससे पार्टी को जीतने में मदद मिलेगी।

सचिन पायलट कैंप से मिली जानकारी के अनुसार, पूर्व डिप्टी सीएम को सपोर्ट कर रहे विधायकों और मंत्रियों को मंगलवार को होने वाले उपवास में न आने के लिए कह गया है। हालांकि उनके समर्थन में बड़ी संख्या में उनके समर्थक उपवास में शामिल होंगे। पायलट के समर्थक वेद सोलंकी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सचिन ने पूर्व सरकार के कार्यकाल के दौरान हुए करप्शन की जांच की डिमांड की, विधायक उनके साथ हैं लेकिन उन्हें उपवास में न आने के लिए कहा गया है।

जब उनसे सवाल किया गया कि क्या कांग्रेस पार्टी में टूट के चांस हैं तो उन्होंने कहा, “मैं इस पर टिप्पणी नहीं कर सकता लेकिन मैं जो बता सकता हूं वह यह कि मैं सचिन पायलट के साथ हूं।” पायलट कैंप के एक अन्य विधायक ने कहा कि पूर्व डिप्टी सीएम बीजेपी सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार की जांच की डिमांड कर रहे हैं लेकिन पार्टी लीडरशिप को इसको पार्टी के लिए नुकसानदायक मानती है।

बता दें कि दिसंबर 2018 में राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की सरकार गठन के बाद से ही सचिन पायलट और अशोक गहलोत में रार जारी है। जुलाई 2020 में सचिन पायलट ने पार्टी के कुछ विधायकों के साथ खुलकर बगावत भी कर दी थी लेकिन अनुभवी गहलोत ने स्थिति संभाल ली थी। उस समय पायलट को झुकना पड़ा था। गहलोत ने पायलट और उनके समर्थकों को मंत्रिमंडल से निकाल दिया था। इसी दौरान अशोक गहलोत ने पायलट के लिए गद्दार, नाकारा और निकम्मा जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था।