पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार को कैंसर, हार्ट, किड़नी जैसी गंभीर बीमारियों के लिए मुफ्त इलाज की व्यवस्था करनी चाहिए। इसके लिए सरकार को चाहें अलग से कर लगाना पड़े। उन्होंने राजस्थान में गैरकानूनी तरीके से फोन टेप के मामले में कहा कि इसकी पुष्टि हाल में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के दौरे के दौरान भी हो गई। शाह ने अपनी बैठक के दौरान तमाम मंत्रियों और पार्टी नेताओं को बगैर फोन के उनके पास आने की हिदायत दी।
गहलोत ने बुधवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि केंद्र सरकार को खुद आगे आकर घातक बीमारियों के इलाज के लिए मुफ्त सुविधा मुहैया कराने जैसी योजना बनानी चाहिए। गहलोत ने कहा कि ये ऐसा काम नहीं है जो किया नहीं जा सकता हो। राजस्थान में उनके शासन में मुफ्त दवा और जांच योजना सफलतापूर्वक लागू की गई थी। इसकी सराहना राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हुई थी। उन्होंने कहा कि गंभीर रोगों का इलाज बहुत महंगा होता है। कैंसर में तो पूरी ठीक होने का फीसद भी बहुत कम है। यह जानते हुए भी रोगी के परिजन अपनी संपत्ति दावं पर लगा कर अपनों को बचाने का प्रयास करते है। इससे पूरे परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब हो जाती है। परिजनों के वर्तमान के साथ भावी पीढ़ियां भी कर्ज के बोझ से दब जाती है। इन रोगों के इलाज के लिए जनभागीदारी को भी बढ़ावा देने की पहल सरकार को करनी चाहिए।
गहलोत ने पूर्व में सरकार पर लगाए फोन टेप के आरोपों पर कहा कि इसकी पुष्टि तो भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के हाल के जयपुर दौरे के दौरान ही हो गई। उन्होंने कि फोन टेपिंग के मामले को लेकर प्रदेश में चिंता का माहौल बन गया है। यह बहुत बड़ा अपराध है। बगैर किसी आदेश के किस तरह से टेलीफोन टेप किए जा रहे है, कंपनियों ने बगैर आदेश इस काम को किया है इसका खुलासा होना चाहिए। गृह मंत्रालय के आदेश के बगैर ही फोन टेप होना गंभीर अपराध है। इसलिए इस सबका खुलासा होना जरूरी है। गहलोत का कहना है कि अफसरों के व्यवहार से ही जाहिर हो जाता है कि उनमें भय पनपा हुआ है। फोन टेपिंग को लेकर अधिकारियों के साथ ही राजनेताओं में भी आशंका और संदेह का माहौल बन गया है। उनका कहना है कि जयपुर कमिश्नरेट किसके आदेश पर फोन टेपिंग करा रहा है इसका खुलासा होना जरूरी है। इस मामले में गहलोत ने वसुंधरा सरकार की कार्यशैली की आलोचना की।