सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले को न्यायालय के बाहर सुलझाने की सर्वोच्च न्यायालय की सलाह को एक तरह से खारिज करते हुए कहा कि यह मालिकाना हक का मामला है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “कृपया याद कीजिए बाबरी मस्जिद मुद्दा मालिकाना हक का मामला है, जिसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गलती से भागीदारी मामला मानकर फैसला सुनाया था। इसीलिए सर्वोच्च न्यायालय में अपील किया गया है।”
ओवैसी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के सदस्य हैं। एआईएमपीएलबी ने विवादित स्थल राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद को तीन हिस्सों में बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में 2.77 एकड़ की विवादित भूमि को तीन हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था, जिसमें दो हिस्से हिंदू संगठनों को और शेष मुस्लिमों को देने का फैसला सुनाया गया था।
Please remember Babri Masjid case is about Title which Allahabad court wrongly decided as a Partnership case hence the Appeal in Apex court
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) March 21, 2017
एआईएमपीबी ने अदालत के आदेश को ‘अस्वीकार्य’ करते हुए कहा था कि यह फैसला विचारधारा पर आधारित है, साक्ष्यों पर नहीं। सर्वोच्च न्यायालय ने फैसले को ‘अजीब और आश्चर्यजनक’ करार देते हुए नौ मई, 2011 को उस पर रोक लगा दी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को राम मंदिर बनाए जाने की भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी की अपील पर सुनवाई करते हुए दोनों पक्षों को अदालत से बाहर ही मामला सुलझाने की सलाह दी है।
वहीं, ओवैसी ने उम्मीद जताई कि सर्वोच्च न्यायालय 1992 में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के समय से लंबित अन्य मामलों पर फैसला सुनाएगा। उन्होंने कहा, “इस बात का इंतजार कर रहा हूं कि क्या बाबरी गिराए जाने के मामले में (भाजपा नेता एल.के.) आडवाणी, (मुरली मनोहर) जोशी, उमा भारती के खिलाफ साजिश के आरोप तय होंगे।”
बता दें राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज (21 मार्च) अहम टिप्पणी की। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजीआई) की तरफ से कहा गया है कि दोनों पक्ष इस मामले को कोर्ट के बाहर सुलझा लें तो ठीक रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह धर्म और आस्था से जुड़ा मामला है इसलिए इसको कोर्ट के बाहर सुलझा लेना चाहिए। कोर्ट ने इसपर सभी पक्षों को आपस में बैठकर बातचीत करने के लिए कहा है। इसपर राम मंदिर की तरफ से लड़ रहे सुब्रमण्यम स्वामी ने बताया कि कोर्ट ने कहा कि मस्जिद को कहीं भी बन सकती है। इस मामले पर अब 31 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।

