उमेश पाल हत्याकांड के मुख्य आरोपी असद अहमद के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्रवाई की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सराहना की है। लंबे समय से फरार असद और गुलाम को एसटीएफ ने उस समय मार गिराया, जब दोनों भागने की कोशिश कर रहे थे। उमेश पाल की हत्या के बाद गिरफ्तारी के डर से असद और गुलाम दोनों फरार थे। 2 महीने में उन्होंने 6 शहर बदले। दिल्ली, अजमेर, मेरठ, लखनऊ, कानपुर और आखिर में झांसी, जहां वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया।
2 महीने से असद की तलाश में जुटी एसटीएफ की अतीक से जुड़े हर ठिकाने पर कड़ी नजर थी। झांसी टीम के रडार पर पहले से ही था। अतीक अहमद के सहयोगी और उमेश पाल हत्याकांड के आरोपी गुड्डू मुस्लिम का एक ठिकाना पारीछा पावर प्लांट की ओर जाने वाले वन क्षेत्र के पास था। अब यह पता चला है कि यह ठिकाना मुठभेड़ स्थल से सिर्फ एक किलोमीटर की दूरी पर था। झांसी का एक और कनेक्शन तब सामने आया जब खुफिया एजेंसियों की ओर से झांसी के पास अतीक अहमद के काफिले पर संभावित घात को लेकर अलर्ट जारी किया गया। अतीक को पिछले दिनों उमेश पाल हत्याकांड में पेशी के लिए प्रयागराज लाया गया था।
एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने बताया कि पुलिस इस रास्ते की निगरानी कर रही थी। जांच से जुड़े एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि टीम ने पहले से ही सावधानीपूर्वक योजना बनाई थी और किसी भी घटना के लिए तैयार थी, जैसा कि सबको पता है कि अतीक का गिरोह कभी भी पूरी ताकत का इस्तेमाल करने से नहीं हिचकिचाता।
एनकाउंटर के 2 दिन पहले से सिविल ड्रेस में तैनात थे एसटीएफ के जवान
एक अधिकारी ने बताया कि ध्यान भटकाने के लिए 11 अप्रैल से ही झांसी सीमा के पास भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। इस रास्ते से ही अतीक को प्रयागराज लाया जा रहा था। उन्होंने बताया कि स्पेशल टास्क फोर्स के कुछ लोगों को सिविल ड्रेस में गुड्डू मुस्लिम के ठिकाने के पास तैनात किया गया था, ताकि वहां की गतिविधियों का पता चलता रहे। मुख्यालय से निगरानी और तकनीकी सहायता से पारीछा पावर प्लांट के क्षेत्र के पास एक छोटी सी टीम गुप्त रूप से तैनात थी। इसकी अध्यक्षता एक डीआईजी-रैंक के अधिकारी ने की थी।
अधिकारी ने कहा, “12 अप्रैल को, गुड्डू मुस्लिम के ठिकाने पर रात की गतिविधि देखी गई, जिसने हमें सतर्क कर दिया और टीमों को चार मार्गों के पास तैनात कर दिया गया।” एक अन्य दल को दूसरे रास्तों के सर्वेक्षण के लिए लगाया गया था, जहां से असद और गुलाम भाग सकते थे। कुमार ने बताया कि गुरुवार को हमारा अभियान तेज कर दिया गया और दो बाइक सवार लोगों को भागते हुए देखा। जब उन्हें रोकने के लिए बोला गया तो उन्होंने पुलिस पर गोली चला दी। इसकी जवाबी कार्रवाई में दोनों मारे गए।
2 महीने में बदले 6 शहर
असद और गुलाम फरवरी से फरार थे और उन्होंने छुपने के लिए 6 शहरों में पनाह ली। इस दौरान उन्होंने कम से कम 10 सिम कार्ड का इस्तेमाल किया। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी पुलिस के कुछ अधिकारियों ने बताया कि उमेश पाल पर हमले के बाद असद प्रयागराज से लखनऊ गया था। यहां थोड़ा समय बिताने के बाद वो कानपुर गया और फिर इसके बाद मेरठ में लगभग एक हफ्ता रहा। इसके बाद गुलाम और असद दिल्ली चले गए। यहां संगम विहार में कुछ दिन रहे और फिर राजस्थान के अजमेर में चले गए और यहां से मध्य प्रदेश भागने का फैसला किया।