करीब 20 साल तक मोहम्मद अतहर हुसैन नवादा और आसपास के इलाकों में कपड़े धोने का काम करता था। वह घर-घर जाकर कपड़े पहुंचाता और उसी से अपने परिवार का गुजारा करता था। एक साल पहले 45 वर्षीय मोहम्मद अतहर हुसैन ने एक सेकेंड हैंड साइकिल खरीदी थी। इसके बाद उसकी कमाई थोड़ी बढ़ने लगी और जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौटती नजर आ रही थी। परिवार को उम्मीद थी कि हालात बदलेंगे, लेकिन 5 दिसंबर की रात उन सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया।
गांव के ही कुछ लोगों ने हुसैन को चोर समझने की गलती की और बेरहमी से उसकी पिटाई कर दी। छह दिन तक मोहम्मद अतहर हुसैन जिंदगी और मौत के बीच जूझता रहा, लेकिन 12 दिसंबर की सुबह उसने दम तोड़ दिया।
पत्नी शबनम परवीन ने आखिरी बार हुसैन को 28 नवंबर को देखा था, जब वह बिहार शरीफ स्थित अपने छोटे से घर से नवादा के लिए निकला था। हुसैन के भाई मोहम्मद चांद बताते हैं कि 6 दिसंबर को उन्हें किसी ने एक वीडियो भेजा, जिसमें एक बुरी तरह जख्मी शख्स दिखाई दे रहा था। चांद को तुरंत एहसास हो गया कि वह घायल व्यक्ति कोई और नहीं, बल्कि उसका भाई मोहम्मद अतहर हुसैन ही है। उसने यह वीडियो तुरंत हुसैन की पत्नी शबनम परवीन को दिखाया और फिर अपने दूसरे भाई के साथ नवादा के लिए रवाना हो गया। परिवार के अन्य सदस्य भी वहां पहुंच गए।
हुसैन के भाई मोहम्मद साकिब के मुताबिक, जब वे अस्पताल पहुंचे तो मोहम्मद अतहर को पहचान पाना भी मुश्किल था। अस्पताल में हुसैन ने बताया कि वह बतापुर गांव के पास था, तभी उसकी साइकिल का पंचर हो गया। पास ही कुछ लोग बैठे थे, उनसे उसने पंचर की दुकान के बारे में पूछा। चांद के मुताबिक, वे सभी लोग नशे में थे। उन्होंने सबसे पहले हुसैन से उसका नाम पूछा, फिर अचानक उसके सारे पैसे छीन लिए। जब हुसैन ने विरोध किया तो उसे बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया गया।
हुसैन ने अपने परिवार को बताया था कि पहले उसे आग में रखे एक लकड़ी के गुट्ठे से पीटा गया। इसके बाद उसे घसीटकर एक कमरे में ले जाया गया, जहां उसके कपड़े उतार दिए गए और हाथ-पैर बांध दिए गए। इसके बाद लगातार उसके साथ मारपीट होती रही। हुसैन के मुताबिक, उस पर गर्म लोहे की रॉड से हमला किया गया, प्लास से उसके कान काटे गए, उंगलियां बुरी तरह कुचल दी गईं और सिर पर भी बार-बार वार किया गया। परिवार का आरोप है कि हुसैन के निजी अंगों पर बिजली के झटके भी दिए गए।
हुसैन के भाई चांद बताते हैं कि आरोपियों की हैवानियत इस कदर थी कि जैसे ही हुसैन को होश आता, उस पर पानी छिड़क कर फिर से मारपीट शुरू कर दी जाती। जब आरोपियों को लगा कि हुसैन शायद नहीं बचेगा, तो खुद को बचाने के लिए उन्होंने कुछ गहने उसके शरीर पर डाल दिए, ताकि यह दिखाया जा सके कि वह चोर था। चांद के मुताबिक, 20 से 25 लोगों ने मिलकर उसके भाई की पिटाई की, जिनमें कुछ नाबालिग भी शामिल थे। शाम करीब 7 बजे मारपीट शुरू हुई और रात 2 बजे तक उसे लगातार यातनाएं दी जाती रहीं।
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, देर रात करीब ढाई बजे हुसैन को घायल अवस्था में पाया गया। सबसे पहले उसे पास के प्राइमरी हेल्थ सेंटर ले जाया गया, फिर नवादा सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। 11 दिसंबर की रात उसकी हालत बिगड़ने पर उसे भगवान महावीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, पावापुरी रेफर किया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
फिलहाल पुलिस ने इंडियन एक्सप्रेस के साथ हुसैन की पोस्टमार्टम रिपोर्ट साझा नहीं की है। परिवार का भी आरोप है कि उन्हें अब तक कोई रिपोर्ट नहीं दी गई है। इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई है और नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। बताया जा रहा है कि गिरफ्तार किए गए सभी आरोपी यादव समुदाय से हैं और भट्टा गांव के रहने वाले हैं।
मामले की गंभीरता को देखते हुए बिहार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद जमा खान खुद हुसैन के परिवार से मिलने पहुंचे। उन्होंने परिवार को ₹20,000 की तात्कालिक सहायता दी और आश्वासन दिया कि मुख्यमंत्री राहत कोष से ₹3 लाख की अतिरिक्त मदद दी जाएगी।
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में मंत्री मोहम्मद जमा खान ने कहा कि ऐसे मामलों में नीतीश सरकार संवेदनशील है। कई गिरफ्तारियां हो चुकी हैं और प्रशासन हालात पर नजर बनाए हुए है, ताकि सांप्रदायिक सौहार्द बना रहे।
वहीं, हुसैन की पत्नी शबनम परवीन का कहना है कि परिवार पर कर्ज का भारी बोझ है। उनके मुताबिक, हुसैन इसी कर्ज को चुकाने के लिए ज्यादा काम कर रहा था। उसके ज्यादा दोस्त नहीं थे और वह किसी भी तरह की गलत आदतों से दूर रहता था।
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