दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके वकील राम जेठमलानी का मामला इन दिनों चर्चा में है। दरअसल, देश के सबसे मंहगे वकीलों में से एक राम जेठमलानी ने अरुण जेटली द्वारा किए गए मानहानि के केस में अरविंद केजरीवाल की तरफ से लड़ने के लिए 3.8 करोड़ रुपए का बिल थमाया है। लेकिन केजरीवाल चाहते हैं कि यह फीस दिल्ली सरकार ने फंड से दी जाए जिसपर विवाद हो रहा है। अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि यह मेरा ‘निजी मामला’ नहीं है तो फिर वह बिल अपनी जेब से क्यों भरें ? लेकिन पिछले साल अक्टूबर में कोर्ट के सामने अरविंद केजरीवाल ने इस मामले को अपना निजी मामला बताया था। तब कोर्ट में अरविंद केजरीवाल पर लगे दो मानहानि के मुकदमों में से एक की सुनवाई हो रही थी। केजरीवाल ने उस मामले को खत्म करवाने की अर्जी लगाते हुए यह अपील की थी। लेकिन कोर्ट ने उस केस को डिसमिस करने से मना कर दिया था। कोर्ट ने अपने ऑर्डर में भी दोनों मामलों को निजी बताया था।
दो महीने बाद ही राम जेठमलानी ने केजरीवाल को अपनी फीस का 3.8 करोड़ का बिल थमा दिया। जिसमें एक करोड़ रुपए उनको काम पर रखने और 22-22 लाख हर तारीख के हिसाब से बताए गए थे। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया चाहते हैं कि दिल्ली सरकार इस पैसे को दे। इसके लिए उन्होंने दिल्ली के उपराज्यपाल को पत्र भी लिखा है। मनीष सिसोदिया ने भी मामले को केजरीवाल का निजी मामला ना बताते हुए आधिकारिक क्षमता वाला बताया है।
अभी बिल पर उपराज्यपाल अनिल बैजल की मुहर लगनी बाकी है। लेकिन इस मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अरविंद केजरीवाल पर जमकर निशाना साध रही है।
क्या है मानहानि मामला: DDCA में कथित घोटाले के लिए अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली का नाम घसीटा था। उसके बाद अरुण जेटली ने 2015 में अरविंद केजरीवाल समेत पार्टी के कुछ नेताओं पर मानहानि का मुकदमा करते हुए 10 करोड़ रुपए का मांग की थी।