दिल्ली सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन को केंद्रीय एजेंसी सीबीआई की ओर से एक मामले में पर्याप्त सबूतों के आभाव में क्लीन चीट दे दी है। जानकरी के मुताबिक सीबीआई की ओर से सत्येंद्र जैन और अन्य लोगों के खिलाफ मामले को बंद कर दिया गया है और इसके लिए अदालत में भी एक क्लोज़र रिपोर्ट दाखिल कर दी गई है।
क्या था पूरा मामला?: सीबीआई को दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से 28 मई 2018 को भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर एक शिकायत मिली थी। उपराज्यपाल कार्यालय ने शिकायत में कहा था कि पीडब्ल्यूडी कार्यों के लिए क्रिएटिव टीम की भर्ती के लिए एक निजी कंपनी को टेंडर जारी करने में अनियमितता बरती गई है। सीबीआई की ओर से प्रारंभिक जांच में पीडब्ल्यूडी विभाग के मंत्री सत्येंद्र जैन और अन्य लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे, जिसके बाद जैन को मुख्य आरोपी बनाते हुए मलाला दर्ज किया गया था।
चार साल जांच के बाद भी नहीं मिले सबूत: सीबीआई की ओर से पूरे मामले पर लगभग 4 साल जांच की गई लेकिन मंत्री के खिलाफ टेंडर में भ्रष्टाचार के कोई भी पर्याप्त सबूत नहीं मिले जिसके कारण सीबीआई को अब यह मामला बंद करना पड़ा। गौरतलब है कि इस मामले को लेकर सीबीआई ने जैन के आवास पर भी छापा मारा था जबकि कई पीडब्ल्यूडी अधिकारियों से भी मुलाकात की थी।
केजरीवाल ने केंद्र सरकार को घेरा: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पूरे मामले पर तंज कसते हुए कहा कि “गहन जांच पड़ताल और सभी सबूतों को संज्ञान में लेने के बाद भाजपा की केंद्र सरकार ने सत्येंद्र जैन को भी सर्टिफ़िकेट दे दिया कि वे देश के सबसे ईमानदार मंत्री हैं।”
बता दें, मार्च 2016 में दिल्ली के पीडब्ल्यूडी डिपार्टमेंट की ओर से देश के बड़े इंस्टिट्यूशन जैसे आईआईटी, आईआईएम, एनआईडी, एसपीए और एनआईटी जैसी संस्थाओं से युवा पेशेवरों को हायर करने के लिए एक टेंडर निकाला गया, जिसमें इन पेशेवरों का मासिक वेतन 50,000-1,00,000 रुपए रखा गया था। इन पेशेवरों की मदद से पीडब्ल्यूडी डिपार्टमेंट में एक क्रिएटिव टीम बनाई जानी थी। टेंडर निकालने के बाद विवादों के घेरे में आ गया और विपक्ष की तरफ से दिल्ली सरकार के पर भ्रष्टाचार के भी कई आरोप लगाए गए थे।