दिल्ली और केंद्र सरकार एक बार फिर आमने सामने आने की तैयारी में हैं। इस बार मामला किसान आंदोलन से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए वकीलों के पैनल का है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को उपराज्य़पाल के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। इससे पहले गुरुवार को दिल्ली सरकार द्वारा गठित वकीलों के पैनल को उपराज्यपाल ने खारिज कर दिया था। अरविंद केजरीवाल ने फैसले के बाद ट्वीट कर कहा कि देश के किसान का साथ देना हर भारतीय का फ़र्ज़ है। हमने कोई एहसान नहीं किया, देश के किसान के प्रति अपना फ़र्ज़ निभाया है। किसान अपराधी नहीं है, आतंकवादी नहीं है। वो हमारा अन्नदाता है।

 

इस मामले पर आम आदमी पार्टी आक्रामक रुख अख्तियार किए हुए नजर आ रही है। अरविंद केजरीवाल के ट्वीट के बाद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल दिल्ली की जनता द्वारा चुनी गई सरकार के काम काज में हस्तक्षेप कर रहे हैं, कभी वह राशन की डिलवरी पर रोक लगा देते हैं, कभी कहते हैं कि दिल्ली सरकार वकील नहीं लगा सकती है।

मनीष सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की याद दिलाते हुए कहा कि संविधान में उपराज्यपाल को वीटो पावर जरूर दी है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हर काम में हस्तक्षेप किया जाए। दिल्ली के उपमुख्य़मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि यह दुलर्भ से दुर्लभ मामले में इस्तेमाल होगा लेकिन ऐसा देखा जा रहा है कि हर कदम पर हस्तक्षेप किया जा रहा है। ऐसा करके उपराज्यपाल न सिर्फ संविधान का भी मजाक उड़ाते हैं बल्कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले की भी अवेहलना कर रहे हैं।

बताया जा रहा है कि उपराज्यपाल चाहते थे कि दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस द्वारा सुझाए गए वकीलों के पैनल को मंजूरी दे। अब यह मामला किसान आंदोलन के साथ फिर उस बिंदु पर आकर टिक गया है, जिस पर दिल्ली और केंद्र पिछले कई सालों से आमने-सामने है।