कमजोर जनलोकपाल विधेयक पेश करने की आलोचनाओं से घिरी दिल्ली सरकार मसौदा विधेयक में संशोधन कर सकती है और सामाजिक कार्यकर्ता अण्णा हजारे के सुझावों के अनुरूप लोकपाल में नियुक्ति और हटाने के प्रावधानों में दो बदलाव पेश करेगी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार शाम कहा कि कुमार विश्वास और संजय सिंह की रालेगण सिद्धि में अण्णा से मुलाकात के दौरान उन्होंने जिन बदलावों की बात की, उसे लागू किया जाएगा। अण्णा ने मुलाकात के दौरान इन दोनों से कहा था कि इस बिल में थोड़ी कमी दिखती है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, चयन समिति में हाईकोर्ट के एक और न्यायाधीश और एक प्रतिष्ठित शख्सीयत को शामिल करने का प्रावधान होगा। पद से हटाने के लिए महाभियोग की प्रक्रिया लोकपाल के खिलाफ किसी तरह के आरोप की किसी ऊंची अदालत की निगरानी में हुई जांच के बाद ही शुरू की जाएगी। ऐसे ही कुछ बिंदुओं पर आप के पूर्व नेता प्रशांत भूषण ने केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री ने मूल मसौदे के प्रमुख प्रावधानों को हल्का किया है।
लेकिन सरकार ने आलोचना को खारिज करते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने एनजेएसी पर चर्चा के दौरान ऐसे पदों पर प्रतिष्ठित लोगों को शामिल करने के खिलाफ दलील दी थी और कहा था कि हटाने के लिए महाभियोग सर्वश्रेष्ठ संभावित तरीका है। मसौदा विधेयक के अनुसार जनलोकपाल संस्था के प्रमुख या किसी सदस्य को साबित कदाचार या अक्षमता के
आधार पर विधानसभा में कुल सदस्यों में से कम से कम दो तिहाई बहुमत के साथ सदन की सिफारिश पर केवल उपराज्यपाल द्वारा हटाया जा सकता है।
इसमें चार सदस्यीय चयन समिति का प्रावधान है जिसमें मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, विपक्ष के नेता और दिल्ली हाईकोर्ट के एक न्यायाधीश शामिल होंगे। मुख्यमंत्री ने आज ट्वीट किया, अण्णाजी आपके समर्थन और आशीर्वाद के लिए शुक्रिया। हम आपके सुझावों को निश्चित रूप से लागू करेंगे।
विधेयक का स्वागत करते हुए हजारे ने सुझाव दिया था कि लोकपाल चयन समिति में सात सदस्य होने चाहिए जिनमें हाईकोर्ट के दो न्यायाधीश और एक प्रतिष्ठित शख्स और शामिल हों। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी के बाद ही पद से हटाने के लिए महाभियोग प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए। अण्णा ने कहा कि अगर केंद्र की राजग सरकार जनलोकपाल विधेयक के रास्ते में और खासतौर पर केंद्र सरकार के अधिकारियों को इसके दायरे में लाने के विवादास्पद प्रावधान के रास्ते में अवरोध डालती है तो वे भी आगे आएंगे।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, आप आगे बढ़िए। मैं देखता हूं कि क्या इन प्रावधानों का विरोध किया जाता है। उनका विरोध नहीं होना चाहिए। अगर अच्छे लोकपाल के रास्ते में अवरोध पैदा किए जाते हैं तो यह दुखद होगा। केंद्र का भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने का कोई इरादा नहीं है।