पूर्व केंद्रीय मंत्री पी के थुंगन को वर्ष 1993-94 के दौरान सरकारी दुकानों के आवंटन में भ्रष्टाचार मामले को लेकर सोमवार (29 फरवरी) को साढ़े तीन वर्ष की जेल की सजा सुनाई गई। जेल की सजा के अलावा सीबीआई के विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने थुंगन पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी किया। थुंगन अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं।

अदालत ने थुंगन को भादंसं की धारा 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र), धारा 13 डी (तीन) (लोक सेवक रहने के दौरान किसी व्यक्ति की तरफ से कोई मूल्यवान चीज हासिल करना या वित्तीय लाभ हासिल करना जिसका जनहित नहीं हो) और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13 (2) (लोक सेवक का आपराधिक व्यवहार) के तहत दोषी पाया है। बहरहाल अदालत ने दो अन्य आरोपियों — लखपा सेरिंग और कृष्णा को मामले में बरी कर दिया।

पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिंह राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय में थुंगन शहरी विकास और रोजगार मंत्रालय में राज्यमंत्री थे और उसी दौरान यह कथित अपराध हुआ। इसके अलावा तत्कालीन शहरी विकास और रोजगार मंत्री शीला कौल और एक अन्य व्यक्ति तुलसी बलोदी भी मामले में आरोपी थे। कौल और बलोदी के खिलाफ कार्यवाही रोक दी गई क्योंकि मुकदमे की सुनवाई के दौरान ही उनकी मृत्यु हो गई। बहरहाल अदालत ने कौल को अवैध कृत्य का षड्यंत्र करने और अवैध कृत्य करने का दोषी पाया है।