केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन को रविवार (27 मार्च) को सही ठहराते हुए कहा कि अनुच्छेद 356 लागू करने का इससे बेहतर उदाहरण नहीं हो सकता क्योंकि हरीश रावत सरकार 18 मार्च को विधानसभा में बहुमत ‘हारने’ के बाद से ही ‘असंवैधानिक’ और ‘अनैतिक’ थी। अरुणाचल प्रदेश के बाद उत्तराखंड में भी सत्ता गंवा चुकी कांग्रेस ने इसे ‘लोकतंत्र की हत्या’ करार दिया वहीं अरच्च्ण जेटली ने पलटवार करते हुए कहा कि राज्य सरकार पिछले नौ दिन से हर रोज संवैधानिक प्रावधानों की ‘हत्या’ कर रही है।

पर्वतीय राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने के कुछ ही समय बाद मीडिया से बातचीत में जेटली ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘आवश्यक, प्रासंगिक और अति महत्वपूर्ण आधार’ पर यह फैसला किया। उन्होंने कहा, ‘‘संविधान के अनुच्छेद 356 को लगाने के लिए इससे बेहतर उदाहरण नहीं है। पिछले नौ दिन से हर रोज संविधान के प्रावधानों की हत्या की जा रही है।’’

जेटली ने कहा, ‘‘यह न केवल उचित है बल्कि समय की मांग भी है कि ऐसी अनैतिक सरकार उत्तराखंड में नहीं रहे जो बहुमत खो चुकी है। उत्तराखंड में संविधान की पूरी तरह अवहेलना हुई।’’ गत 18 मार्च का उल्लेख करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि 71 सदस्यीय विधानसभा में अध्यक्ष को छोड़कर 67 सदस्य उपस्थित थे जिनमें से 35 सदस्य विनियोग विधेयक पर मत-विभाजन चाहते थे।

जेटली के अनुसार 35 सदस्यों ने पहले ही पत्र लिखकर मत-विभाजन की मांग की थी जिन्होंने विधेयक के खिलाफ वोट भी दिया, जिसके बावजूद स्पीकर ने विधेयक को पारित बताया। उन्होंने कहा, ‘‘यह संविधान का पहला उल्लंघन था।’’ सरकार को बर्खास्त करने के अन्य कारण गिनाते हुए जेटली ने विधानसभा के संयोजन में बदलाव का प्रयास और मुख्यमंत्री द्वारा कथित रूप से विधायकों को ‘‘लुभाने’’ तथा विधानसभा अध्यक्ष द्वारा कथित रूप से दलबदल कानून के भेदभावपूर्ण इस्तेमाल की बात की।

जेटली ने कहा कि राज्यपाल के के पॉल ने यह भी जिक्र किया कि उन्हें 18 मार्च को विधानसभा में जो कुछ हुआ, उसे लेकर ‘‘गंभीर संदेह’’ है। जेटली के मुताबिक राज्यपाल की रिपोर्ट ने कैबिनेट के निर्णय में मुख्य भूमिका अदा की है। रावत को बहुमत साबित करने के लिए नौ दिन का समय देने के राज्यपाल के फैसले की खासकर भाजपा द्वारा आलोचना किये जाने के बारे में पूछे जाने पर जेटली ने कहा कि उनकी रिपोर्ट को देखने के बाद इस तरह के निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए उनके पास कोई वजह नहीं है।

वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यपाल ने विश्वास मत के लिए बार बार मुख्यमंत्री से दो-तीन दिन में विधानसभा बुलाने को कहा था लेकिन मुख्यमंत्री ने जानबूझकर इसे खींचा और कहा कि वह 28 मार्च को बहुमत साबित करेंगे। केद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘वह सदन का संयोजन बदलने के लिए प्रलोभन देने और खरीद फरोख्त में समयावधि का प्रयोग करना चाहते थे… नौ में से हर दिन संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया।’’

रावत के खिलाफ स्टिंग ऑपरेशन के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘‘यह पहली बार है जब एक मुख्यमंत्री द्वारा खरीद फरोख्त किये जाने के मजबूत सबूत हैं जो कैमरे में पकड़े गये हैं।’’ भाजपा पर कांग्रेस की सरकारों को अस्थिर करने के उसके आरोपों पर जेटली ने कहा कि विपक्षी पार्टी को अपना घर संभालना चाहिए, चूंकि संकट कांग्रेस का खुद का पैदा किया हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस में विद्रोह पैदा हुआ क्योंकि पार्टी आलाकमान अपने नेताओं से मिलने तक से इनकार कर रहा था।’’