शोपियां फायरिंग मामले में नया मोड़ आ गया है। जम्मू-कश्मीर पुलिस के बाद अब सेना ने काउंटर एफआईआर दर्ज कराई है। इसमें किसी के नाम का उल्लेख नहीं है। सेना का कहना है कि सेना के काफिले पर पत्थरबाजी करने वालों की पहचान करना पुलिस का काम है। सेना के उत्तरी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल देवराज अनबु ने बुधवार (31 जनवरी) को बताया कि आंतरिक जांच में जवानों की कोई गलती सामने नहीं आई है। कमांडर के मुताबिक, जवानों को अंतिम कदम उठाने के लिए उकसाया गया था, जिसके बाद आत्मरक्षा और सरकारी संपत्ति को बचाने के लिए फायरिंग करनी पड़ी थी। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बिना कुछ सोचे-समझे समय से पहले ही एफआईआर दर्ज कर ली। सेना द्वारा 27 जनवरी को गई फायरिंग में दो युवाओं की मौत हो गई थी। इसके बाद शोपियां में हिंसा भड़क गई थी। इसमें अब तक कुल तीन लोगों की जान चुकी है। इस घटना के बाद पुलिस ने रविवार (28 जनवरी) को सेना की गढ़वाल यूनिट के 10 जवानों के खिलाफ धारा 302 (हत्या) और 307 (हत्या का प्रयास) के तहत केस दर्ज कर लिया था। एफआईआर में सैन्य काफिले का नेतृत्व करने वाले मेजर का नाम भी शामिल था। इसके बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस के कदम की आलोचना होने लगी।
Indian Army files a counter FIR in Shopian incident in which two civilians were killed in army firing on 27 January; one more civilian succumbed to his injuries earlier today #JammuAndKashmir
— ANI (@ANI) January 31, 2018
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सेना के 30 ट्रकों का काफिला दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले से होकर गुजर रहा था। कुछ ट्रक काफिले से अलग हो गए थे। दो सौ से भी ज्यादा पत्थरबाजों की भीड़ ने इनमें सवार दस जवानों को घेर लिया था। जवानों ने उन्हें समझाने की कोशिश की थी, लेकिन उनका प्रयास सफल नहीं रहा था। एक सीनियर जवान को सिर में गंभीर चोट आने के बाद सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए फायरिंग शुरू कर दी थी। इस घटना में आम नागरिकों के मारे जाने के बाद शोपियां में एक बार फिर से हिंसक विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया। जवानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के कदम का गठबंधन में शामिल भाजपा ने विरोध शुरू कर दिया। इसकी गूंज विधानसभा में भी सुनाई पड़ी। मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को कहना पड़ा कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण से बात करने के बाद ही केस दर्ज किया गया था। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता पहले ही कह चुके हैं कि प्रदर्शनकारियों द्वारा जेसीओ को मारने की कोशिश करने के बाद जवानों ने फायरिंग की थी।
भाजपा-पीडीपी में तनातनी: इस मसले पर जम्मू-कश्मीर में सत्तारूढ़ पीडीपी-भाजपा में तनातनी बढ़ गई है। बीजेपी एफआईआर को वापस लेने की मांग कर रही है। पीडीपी ने इसे खारिज कर दिया है। मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि जांच को तार्किक नतीजे तक पहुंचाया जाएगा। इन सबके बीच सोशल मीडिया पर एफआईआर के दायरे में आए मेजर को बचाने के लिए मुहिम शुरू कर दी गई है। उत्तरी कमान के कमांडर के बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि सेना पूरी तरह से जवानों के साथ खड़ी है। मालूम हो कि शोपियां पिछले साल भी हिंसक विरोध के केंद्र में था। स्कूल और कॉलेज के छात्रों ने भी सुरक्षाबलों के खिलाफ पत्थरबाजी की थी।