Amritsar Tragedy, Dussehra Accident: 2018 में दशहरे के मौके पर अमृतसर में हुए दुखद हादसे को एक साल बीत चुका है। रावण देख रहे करीब 60 से ज्यादा लोगों को दो ट्रेनों ने कुचल डाला था। हादसे के पीड़ित अब भी इंसाफ की लड़ाई लड़ रहे हैं। पीड़ित परिवारों के लिए इंसाफ और नौकरी की मांग के लिए हो रहे प्रदर्शन में शामिल होने राधा उत्तर प्रदेश से अमृतसर तक पहुंची। हादसे में मारे गए राधा का पति बुधराम अमृतसर में मजदूरी करता था। उसकी बहन प्रीती भी इस हादसे में घायल हो गई थी, जबकि प्रीती के पति दिनेश कुमार की भी इसी हादसे में जान चली गई थी। 30 वर्षीय दिनेश प्लंबर का काम करते थे, दोनों का 9 साल का एक बेटा अभिषेक भी था।
वैष्णोदेवी जाने वाले थे दोनों परिवारः बुधराम और दिनेश दोनों अमृतसर में काम करते थे, प्रीती अपने दो बेटों के साथ वहीं रहती है। राधा भी अपने छह में से दो बच्चों के साथ दशहरा देखने अमृतसर आई थीं। राधा ने कहा, ‘हम बहुत खुश थे। त्योहार मनाने के लिए खासतौर से अमृतसर आए थे। मेरा परिवार और मेरी बहन का परिवार मेरे इकलौते बेटे के जन्म की खुशी में मां को धन्यवाद देने के लिए 20 अक्टूबर को वैष्णो देवी जाने वाले थे।’
अभी भी चल रहा है इलाजः दोनों परिवारों के आठ लोग धोबी घाट पर दशहरा देखने गए थे। इस कार्यक्रम में नवजोत कौर सिद्धू (Navjot Kaur Sidhu) चीफ गेस्ट थीं। राधा ने कहा, ‘जो आखिरी बात मुझे याद है वो यह की पटाखे जल रहे थे और रावण का पुतला जल रहा था। उसके बाद मैंने खुद को हॉस्पिटल में पाया।’ राधा करीब दो महीने अस्पताल में रहीं और अभी भी उनका इलाज चल रहा है।
देवर ने हड़प ली मुआवजे की रकमः हादसे में प्रीती भी घायल हो गई थी और कई महीनों तक बिस्तर पर रही। इस बीच देवर राकेश ने उसके पति के नाम से जॉइंट अकाउंट खुलवाया और कथित तौर पर मुआवजे के रूप में मिले डेढ़ लाख रुपए हड़प लिए। बाद में प्रीती की शिकायत पर राकेश का खाता फ्रीज हुआ और उसके खिलाफ केस दर्ज किया गया। प्रीती कहती है, ‘पुलिस ने मुझसे उसे ढूंढने को कहा। मैं उसे कैसे ढूंढ सकती हूं, यह पुलिस का काम है। बैंक भी केस बंद होने तक पैसे देने को तैयार नहीं है। मैंने डिप्टी कमिश्नर और नवजोत कौर सिद्धू के घर के कई चक्कर काटे, लेकिन मेरी कोई नहीं सुन रहा।’
‘हादसे ने सबकुछ बदल दिया’: उसने कहा, ‘मुझे सिर्फ केंद्र सरकार की तरफ से मुआवजे के दो लाख रुपए मिले। राज्य सरकार की तरफ से मुझे एक रुपया भी नहीं मिला। मैं किराये पर रह रही हूं। मेरा तीन साल का एक बेटा है। मैं बेटे को छोड़ कहीं काम पर भी नहीं जा सकती। करीब 12 साल पहले शादी के बाद मुझे अमृतसर आना पड़ा था। मेरे पति अच्छा कमाते थे। वो प्लंबर थे और कभी मुझे काम नहीं करने दिया। लेकिन उस हादसे ने सबकुछ बदल दिया। मैं अपने बेटे के लिए काम करने को तैयार हूं लेकिन सरकार मुझे वो नहीं दे रही जो हादसे के बाद वादा किया गया था।’
मुआवजे का पैसा किराये में जा रहाः प्रीती ने कहा कि सुल्तानपुर में रहने वाले उसके ससुराल वालों ने पति की मौत के बाद ही सारे रिश्ते तोड़ लिए। उसने कहा, ‘मैं यहां अपने बेटे के साथ अकेली रह रही हूं। मुआवजे में मिला पैसा किराये में जा रहा है। यह कब तक चलेगा? मुझे नहीं पता।’
‘नौकरी नहीं मिली तो भूख से मर जाएंगे’: राधा की पांच बेटियां और एक बेटा है। प्रीती और राधा दोनों का हादसे में लगीं चोटों का इलाज चल रहा है। राधा कहती है, ‘मैं अक्सर अमृतसर आती हूं और डिप्टी कमिश्नर या मंत्री के घर प्रदर्शन में शामिल होती हूं। मुझे नौकरी दे दो, नहीं तो हम सब भूख से मर जाएंगे। हम दोनों ने मुआवजे के पैसे में से इलाज पर लाखों रुपए खर्च कर दिए। हमें उम्मीद है सरकार नौकरी देगी, ऐसा नहीं हुआ तो हमारे पास जीने की कोई उम्मीद नहीं है।’

