पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने शनिवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक से ठीक पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस इस्तीफे से पहले कई बार पार्टी के भीतर की खींचतान और अलगाव सार्वजनिक हो चुका है। नवजोत सिंह सिद्धू के साथ चल रहे लंबे राजनीतिक मनमुटाव के बीच कैप्टन आज दूसरी बार बैकफुट पर नजर आए। इस्तीफे के बाद कैप्टन ने बताया कि वह चार हफ्तों पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को साफ कर चुके थे कि मैं नवजोत सिंद्धू के साथ काम नहीं कर सकता हूं। पूर्व सीएम ने समाचार चैनल रिपब्लिक भारत के ‘पूछता है भारत’ शो में अर्णब गोस्वामी से बातचीत में यह बात कही।
कैप्टन अमरिंदर के इस्तीफे के कारणों पर चर्चा करते हुए जब उनसे पूछा गया कि अचानक आपको इतना बड़ा फैसला क्यों लेना पड़ा तो उन्होंने बताया कि यह फैसला अचानक नहीं लिया गया है, जबकि एक महीने पहले भी वह इसकी पेशकश कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि मैंने चार हफ्तों पहले पार्टी अध्यक्ष के साथ हुई मुलाकात में कहा था कि मैं सिद्धू के साथ काम नहीं कर सकता हूं। उन्होंने बताया कि मैंने सोनिया गांधी से कहा था कि मैं सिद्धू को अच्छी तरह से जानता हूं वो किसी काम के नहीं है। उनके पास एक मंत्रालय था, जहां कोई काम नहीं हो रहा था। सात-सात महीनों की फाइलें वहां पेंडिंग पड़ी थी।
उन्होंने कहा कि मैंने सोनिया गांधी से कहा था कि आपने सिद्धू को आगे बढ़ा दिया है, लिहाजा अब मुझे मेरे कर्तव्यों से मुक्त करें, क्योंकि हम दोनों एक साथ मिलकर पंजाब के लिए तो कुछ नहीं कर सकते हैं। जिसके जवाब में सोनिया गांधी ने उनसे सीएम पद पर बने रहने की बात कही थी। बकौल कैप्टन, आज की सीएलपी बैठक की जानकारी मुझे नहीं दी गई थी और नियमानुसार यह मुझे बुलानी चाहिए थी। उन्होंने बताया कि सुबह 10 बजे के करीब सोनिया गांधी का फोन आया था, व्यस्तता के कारण मैं नहीं उठा पाया था। और जब मेरी उनसे बात हुई तो मैंने उनसे पूरे घटनाक्रम के बारे में बताते हुए इस्तीफे की पेशकश की और कहा कि इस स्थिति में मैं आगे काम नहीं करना चाहता हूं।
राजीव गांधी मेरे अच्छे दोस्त थे, प्रियंका-राहुल मेरे बच्चे की तरह: एक अन्य मीडिया चैनल से बात करते हुए कैप्टन अमरिंदर ने कहा था कि राजीव गांधी मेरे अच्छे दोस्त थे, इस इस्तीफा से परिवार के साथ रिश्तों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। सोनिया गांधी के प्रति सम्मान है और राहुल गांधी तथा प्रियंका गांधी मेरे बच्चों की तरह हैं।
बताते चलें कि पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद अमरिंदर सिंह ने राजभवन के बाहर भी इस बात को कहा था। उन्होंने कहा था कि कुछ महीनों में तीन बार विधायकों की बैठक बुलाने के बाद उन्होंने खुद को अपमानित महसूस किया, जिसके बाद उन्होंने पद छोड़ने का फैसला किया। इस्तीफा देने के बाद राजभवन के बाहर संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने यह भी कहा कि वह अपने साथियों और समर्थकों के साथ बातचीत करने के बाद भविष्य के कदम एवं विकल्प पर फैसला करेंगे।