पतंगबाजी कभी-कभी जानलेवा और आम लोगों के गले की हड्डी बन जाती है। अगर ऐसा नहीं होता तो फिर गाजियाबाद में मोटरसाइकिल सवार योगेश शर्मा की पतंग के मांझे से गर्दन कटकर मौत नहीं होती। या फिर समयपुर बादली इलाके में पतंगबाजी के कारण दो भाइयों रोहित और हर्ष की असमय जान नहीं जाती। कई बेजुबान पक्षी भी इसकी चपेट में आ जाते हैं। पुलिस और बिजली कंपनियां धातु के मांझे चढ़ाकर पतंगबाजी करने वालों को एहतियातन चेतावनी देती है। हालांकि इसके लिए सीआरपीसी की धारा 144 और फिर इसके उल्लंघन के बाद धारा 188 और अंत में 304 का विकल्प का प्रावधान भी खुला हुआ है। और हो जाती है बिजली गुल दिल्ली के अलावा मुंबई, पंजाब, चेन्नई, अमदाबाद व जयपुर में इस खेल के खूनी पहलु सामने आ चुके हैं। यहां गैरसरकारी संस्था भी इसके लिए अभियान चलाती हैं।
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर बड़े पैमाने पर होने वाली पतंगबाजी से हजारों घरों की बिजली गुल हो सकती है। अगर 66/33 केवी की एक लाइन ट्रिप हो जाए, तो इससे एक साथ 10 हजार लोगों के घरों में अंधेरा छा जाता है। बिजली आपूर्ति में बाधा पहुंचाना और बिजली के उपकरणों को क्षतिग्रस्त करना कानूनन जुर्म है। इसके लिए इलेक्ट्रिसिटी एक्ट और दिल्ली पुलिस एक्ट के तहत सजा का प्रावधान है। यही कारण है कि पतंगबाजी की वजह से होने वाली ट्रिपिंग्स के मद्देनजर दिल्ली की दोनों बिजली वितरण कंपनियों ने अपनी ओएंड टीमों को हाई अलर्ट पर रहने को कहा है। टीमों को निर्देश दिए गए हैं कि कहीं पतंगबाजी की वजह से ट्रिपिंग होती है, तो घटनास्थल पर तुरंत पहुंचकर इलाके में जल्द से जल्द बिजली व्यवस्था बहाल की जाए। पिछले साल 15 अगस्त को दिल्ली में पतंगबाजी से 25 ट्रिपिंग हुई थीं और बड़े पैमाने पर लोगों के घरों की बत्ती गुल हो गई थी।
चीनी मांझे पर लगा है प्रतिबंध
इंदौर में पक्षियों की मौत व चेन्नई में एक बच्चे की मौत के बाद देश में चीनी मांझे (स्टील कोटेड) पर प्रतिबंध लगाया गया है। चीनी मांझा पारंपरिक मांझे से सस्ता होता है और धागे के साथ कांच, मैग्नेट, प्लास्टिक, नायलन का चूर्ण मिलाकर बनाया जाता है। नेचर फॉर एवर सोसाइटी ने चीनी मांझा पर प्रतिबंध करने के लिए आॅनलाइन अभियान चलाया है। जबकि 2009-10 में चेन्नई और मुंबई में इस मांझे पर प्रतिबंध लगाया गया। 2011 में लुधियाना के जगराव और खन्ना में चीनी मांझा से पतंग उड़ाने पर प्रतिबंध लगा था। अमदाबाद में भी एक चीनी डोर से आठ लोगों की मौत हुई थी और चार साल की एक बच्ची की गर्दन कट कर अलग हो गई थी। जयपुर में 2010 में 250 लोग इस खूनी मांझे से घायल हो गए थे जिनमें 30 बच्चे ही थे।
दिल्ली में बिजली वितरण कंपनी बीएसईएस ने बिजली के खंभों, तारों, ट्रांसफार्मरों और अन्य उपकरणों के आसपास पतंग न पड़ाने और धातुयुक्त मांझे का प्रयोग न करने की अपील की है। धातुयुक्त मांझा जब बिजली की तारों व अन्य उपकरणों के संपर्क में आता है तो बिजली का करंट धातु के मांझे से प्रवाहित होकर आपके शरीर तक पहुंच सकता है।
हर साल पतंगबाजी की वजह से बिजली की लाइनों व उपकरणों को भारी नुकसान पहुंचता है। अगर पतंगबाजी की वजह से 33/66 केवी की एक लाइन ट्रिप होती है, तो करीब 10,000 लोगों की बिजली ठप हो सकती है। यदि 11 केवी की एक लाइन ट्रिप होती है, तो लगभग 2500 लोगों की बिजली आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। इसी तरह टाटा पावर डीडीएल ने भी बिजली के तारों के पास पतंग नहीं उड़ाने, तारों में उलझी पतंग या डोर को न छूने, मांझा से परेहज करने की अपील की है। इसके लिए कंपनियों की गाड़ियां भी विशेष रूप से बनाई गई है जो इलाके में लोगों को सावधान करती हैं।
दिल्ली में समयपुर बादली इलाके में पतंगबाजी ने रोहित और हर्ष की जान ले ली थी। इलाके के खेड़ागढ़ी कालोनी में रहने वाले गोरेलाल के बेटे रोहित और उनके मकान मालिक के भतीजे हर्ष शुक्रवार आठ जुलाई की शाम अपने घर की छत पर पतंगबाजी कर रहे थे। इसी दौरान पतंग घर के पास से गुजर रहे हाईटेंशन में फंस गई। बच्चे छत पर रखे लोहे के सरिए से उसे उतारने की कोशिश कर रहे थे तभी लोहे में करंट आ गया और दोनों बच्चे उसकी चपेट में आ गए। आनन फानन में दोनों को बाबू जगजीवन राम अस्पताल और पास के एक बड़े अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां डॉक्टरों ने इलाज के दौरान दोनों को मृत घोषित कर दिया। इसे महज संयोग कहा जा सकता है कि जिस दिन दिल्ली में दोनों बच्चों की जान गई उसी दिन गाजियाबाद में मोटरसाइकिल सवार योगेश शर्मा एक की गर्दन पतंग के मांझे से फंस कर कट गई। योगेश दिल्ली के मौजपुर आजाद गली में रहते थे। वे आठ जुलाई को घंटाघर की तरफ से अपनी मोटरसाइकिल से बस अड्डे की तरफ जा रहे थे तभी ठाकुरद्वारा फ्लाईओवर पर चंद्रपुरी की तरफ से उड़ाए जा रहे पतंग का मांझा गर्दन में फंस गया।
गर्दन कटी तो योगेश लड़खड़ाकर नीचे गिरे और अस्पताल में डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस मामले की जांच सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपी गई। लेकिन खेल-खेल में योगेश की जान असमय चली गई। दिल्ली के दरियांगज में रविवार को पुलिस दफ्तर के पास के एक पेड़ पर पतंग के मांझे ने एक बाज को अपनी चपेट में ले लिया। बाज के पैर में फंसे मांझे
निकालने के लिए पुलिस, दमकल की क्रेन सहित अन्य जाबांज पशु-पक्षी प्रेमियों ने परिश्रम शुरू किया और घंटों मशक्कत के बाद बाज की जान किसी तरह बच जाए इसलिए पेड़ की डाल काटने के बजाए बाज को नीचे गिराकर मांझे से मुक्त किया गया।