जम्मू-कश्मीर में चल रहे राष्ट्रपति शासन को 6 महीने के लिए बढ़ाने की शुक्रवार को लोकसभा ने मंजूरी दे दी है। इसके अलावा लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2019 भी पास हो गया है। बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में एक सांविधिक संकल्प पेश किया, जिसमें जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि को छह महीने बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया था। इसके अलावा उन्होंने जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक भी चर्चा एवं पारित होने के लिए पेश किया। प्रस्ताव में कहा गया है कि यह सभा जम्मू कश्मीर राज्य के संबंध में राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 356 के अंतर्गत जारी 19 दिसंबर 2018 की उद्घोषणा के प्रवर्तन को 3 जुलाई 2019 से और छह महीने की अवधि के लिए आगे जारी रखने का अनुमोदन करती है।
राष्ट्रपति शासन बढ़ाने की मांग कीःअमित शाह ने कहा ‘‘जम्मू कश्मीर में अभी विधानसभा अस्तित्व में नहीं है इसलिए मैं यह विधेयक लेकर आया हूं कि 6 माह के लिए और राष्ट्रपति शासन को बढ़ाया जाए ।’’उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने पहले जम्मू-कश्मीर प्रशासन, केंद्र सरकार और सभी राजनीतिक दलों से चर्चा कर निर्णय लिया है कि इस साल के अंत में ही वहां चुनाव कराना संभव हो सकेगा। यह गृह मंत्री के रूप में अमित शाह द्वारा सदन में पेश पहला प्रस्ताव है।
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दिसंबर 2018 में लगा था राष्ट्रपति शासनः उल्लेखनीय है कि राज्य में राज्यपाल शासन जून 2018 में लगाया गया था जब भाजपा ने प्रदेश में गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था और पीडीपी नीत सरकार अल्पमत में आ गई थी । दिसंबर 2018 में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। वहीं कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि छह महीने बढ़ाने से जुड़े सरकार के कदम का विरोध करते हुए शुक्रवार को कहा कि इस ‘संवेदनशील राज्य’ में निर्वाचित सरकार का नहीं होना देशहित में नहीं है। उन्होंने सरकार से पूछा कि जब राज्य में लोकसभा चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से हो सकते हैं तो विधानसभा चुनाव क्यों नहीं करवाए जा सकते? राष्ट्रपति शासन छह महीने के लिए बढ़ाने के प्रस्ताव और जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक-2019 पर लोकसभा में चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के मनीष तिवारी ने यह आरोप लगाया कि केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद से राज्य के लोगों में खुद को अलग-थलग महसूस करने का भाव बढ़ा है।