उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले दल बदलने की सियासी चहलकदमी तेज हो चली है। इसी कड़ी में शनिवार को अखिलेश यादव के कुनबे में पुराने समाजवादी पार्टी नेता लौट आए। पार्टी ने बड़े स्तर पर सदस्यता कार्यक्रम का आयोजन किया था। जहां माफिया डॉन और BSP के विधायक मुख्तार अंसारी के बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी ने सपा की सदस्यता ली, साथ ही उनके बेटे भी अखिलेश सेना के सिपाही बन गए।
इसके अलावा पूर्व सपाई अंबिका चौधरी, आज एक बार फिर समाजवादी पार्टी के सदस्य बन गए। पार्टी में वापसी के दौरान वह बेहद भावुक नजर आए। किसी जमाने में मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी माने जाने वाले अंबिका की घर वापसी की अटकलें लंबे वक्त से लगाई जा रही थीं। चौधरी की सपा सदस्यता की जानकारी अखिलेश यादव ने दी तो अंबिका चौधरी मंच पर पूर्व सीएम के सामने फूट-फूट कर रोने लगे। चौधरी ने कहा कि सपा में आना मेरे लिए एक पुनर्जन्म की तरह है। हम अखिलेश यादव को फिर से मुख्यमंत्री बनाएंगे।
अंबिका चौधरी को चुप कराते हुए अखिलेश ने पुराने और नाराज नेताओं को भी साध दिया। अखिलेश यादव ने कहा कि आज मुझे एहसास है कि चौधरी जी कितने कष्ट में हैं। मेरी कोशिश रहेगी नेताजी से जुड़े हुए सभी लोगों को फिर से एक साथ लाया जाए। बकौल अखिलेश, न जाने क्यों बहुत मजबूत रिश्ते आसानी से टूट जाते हैं लेकिन अब फिर से सब सही हो रहा है। राजनीति में उतार चढाव आते हैं लेकिन सही समय पर जो साथ थे वही साथी है।
2017 में BSP में हो गए थे शामिल: अंबिका चौधरी ने साल 2017 में बीएसपी ज्वाइन की थी और फेफना सीट से चुनावी मैदान पर उतरे थे। इस सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार उपेंद्र तिवारी करीब 18 हजार वोट से जीते थे। पंचायत चुनाव के दौरान अंबिका के बेटे सपा में शामिल हो गए थे। तभी से उनके पार्टी में फिर से शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे। बलिया के मूल निवासी चौधरी, अखिलेश यादव की सरकार में राजस्व, पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री रह चुके हैं।
पूर्वांचल को साधने की रणनीति: अखिलेश ने मुख्तार अंसारी के बड़े भाई को पार्टी की सदस्यता दिलाकर साफ कर दिया सपा इस बार पूर्वांचल इलाके को मजबूत करके लखनऊ तक पहुंचने का रास्ता तलाश रही है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले अंसारी अपनी पार्टी कौमी एकता दल से नहीं लड़ते हुए सपा में शामिल हुए थे लेकिन जब अखिलेश यादव ने आपत्ति जताई थी तो उन्होंने सपा छोड़कर बसपा का दामन थाम लिया था।