शुक्रवार को अमरनाथ गुफा के पास अचानक बादल फटने की वजह से तेज बारिश हुई और बाढ़ आ गई जिसमें 16 लोगों की जान चली गई जबकि हादसे में 20 से भी ज्यादा लोग घायल हो गए थे। पिछले साल भी जुलाई में ठीक उसी जगह अचानक बाढ़ आई थी जैसे कि इस साल शुक्रवार को आई थी। पिछले साल 28 जुलाई को आई बाढ़ में किसी भी तरह के जान और माल का नुकसान नहीं हुआ था। क्योंकि साल 2021 में कोविड महामारी की वजह से अमरनाथ यात्रा के लिए श्रद्धालुओं के जत्थे नहीं गए थे।

भारी बारिश की वजह से आई अचानक आई बाढ़ से पत्थर खिसक कर बहने लगे और उस क्षेत्र में लगे टेंट को पानी की तेज धारा बहा ले गई हालांकि इस दौरान किसी को किसी भी तरह की चोट नहीं लगी थी। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल फिर से तीर्थयात्रियों के लिए उसी जगह पर टेंट लगाए गये थे जहां पिछली बार बाढ़ आई थी। यह एक सूखी नदी थी जहां एक बार में ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोकने के लिए व्यवस्था की गई थी। इतना ही नहीं इस सूखी नदी के तल पर लंगर चलाने की भी अनुमति दी गई थी।

एक अधिकारी ने बताया पहले से था बाढ़ का अंदेशा
राज्य के एक अधिकारी जिसे पहले से इस बात का अंदेशा था कि अगर बारिश हुई तो यहां बाढ़ आ सकती है, ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘यहां व्यवस्था करने वालों को ये बात अच्छी तरह से मालूम थी कि इस जगह पर बाढ़ का खतरा है फिर भी उन लोगों ने उसी जगह पर तीर्थयात्रियों के लिए व्यवस्था की। इस योजना में पूरी तरह से लापरवाही बरती गई। खासकर मौसम को देखते हुए इन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। इन लोगों ने भीड़ दिखाने का प्रयास किया जिसकी वजह से हादसा हुआ।’

पानी रोकने के लिए बनाए गए थे बांध लेकिन बहाव बहुत तेज था
जम्मू-कश्मीर की मौसम विभाग की डायरेक्टर सोनम लोटस ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया, ‘पिछली साल 28 जुलाई को हुई बारिश में चूंकि कोई तीर्थयात्री यहां नहीं आए थे इस वजह से उस क्षेत्र में माप का कोई उपकरण नहीं लगाया गया था।’ इस साल श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड ने पानी को नदी के सूखे तल में बहने से रोकने के लिए धारा में पानी को प्रवाहित करने के लिए दो फीट ऊंची पत्थर की दीवार बनाई गई थी। लेकिन बाढ़ के दिन कुछ ही सेकंडों में धारा का पानी निचली दीवार से ऊपर उठ गया था और तंबुओं में जा घुसा।

गृहमंत्री अमित शाह ने उपराज्यपाल से की बात
पिछले साल बाढ़ के बाद राजभवन से जारी किए गए एक बयान में कहा गया था, “श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड , पुलिस और सेना की एक संयुक्त टीम ने तेजी से कार्रवाई करते हुए नाले के पास मौजूद सभी कर्मचारियों को निकाला था। हालांकि इस हादसे में किसी भी तरह की जान और माल का नुकसान नहीं हुआ था।” लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक, पवित्र गुफा मंदिर अब सुरक्षित है। माननीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से भी बात की जिन्होंने उन्हें वर्तमान स्थिति और अधिकारियों, पुलिस और सेना की संयुक्त टीम द्वारा किए गए प्रयासों के बारे में जानकारी दी।

इसके पहले बाढ़ की धारा से काफी आगे लगता था टेंट
यात्रा व्यवस्थाओं से परिचित सूत्रों ने बताया कि इससे पहले साल 2019 और इससे पहले बाढ़ की धारा से काफी आगे टेंट लगाया जाता था। एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि पिछले साल की अचानक आई बाढ़ और 2015 की बाढ़ पर सभी आधिकारिक बैठकों में चर्चा की गई थी और अपेक्षित जल स्तर के आधार पर तटबंध बनाने जैसे एहतियाती कदम उठाने का फैसला किया गया था। लेकिन शुक्रवार को अचानक नदी आई बाढ़ लोगों की उम्मीदों से कहीं तेज था।

2019 के बाद भारी संख्या में पहुंचे तीर्थयात्री
इस साल 2019 के बाद अमरनाथ की पहली सबसे बड़ी यात्रा थी जब सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के लिए 5 अगस्त को तीर्थयात्रा को रोक दिया था। इसके बाद इस साल देश भर के कई हिंदू संगठनों ने तीर्थयात्रा के लिए बड़ी संख्या में तीर्थयात्री जुटाए थे।