इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ ने हाल ही में कुलपति कार्यालय (VC Office) में प्रशासनिक देरी का सार्वजनिक रूप से आरोप लगाया था। जिसके कुछ दिनों बाद, यूनिवर्सिटी ने एक सर्कुलर जारी कर टीचिंग और नॉन-टीचिंग कर्मचारियों को मीडिया में लेख प्रकाशित करने और अपने विचार व्यक्त करने से सख्ती से परहेज करने को कहा है। साथ ही ऐसा करने पर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की चेतावनी दी है।

रजिस्ट्रार प्रोफेसर आशीष खरे द्वारा 29 मार्च को जारी सर्कुलर में कहा गया है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सभी शिक्षण और गैर-शिक्षण स्टाफ सदस्यों को प्रिंट या डिजिटल मीडिया में ऐसे लेख, समाचार, टिप्पणियां और विचार प्रकाशित करने से सख्ती से बचना चाहिए जो स्पष्ट रूप से या परोक्ष रूप से इलाहाबाद विश्वविद्यालय की छवि को धूमिल करते हों” इसमें यह भी चेतावनी दी गई है कि “अनुपालन न करने पर विश्वविद्यालय के अधिनियम, संविधि और अध्यादेशों में निर्धारित प्रावधानों के अनुसार दोषी स्टाफ सदस्य के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।”

सर्कुलर में शिक्षक संघ या उसकी प्रेस रिलीज का उल्लेख नहीं है। संपर्क किए जाने पर आशीष खरे ने सर्कुलर को रेगुलर बताया। उन्होंने कहा, “यह अधिसूचना एक नियमित बात है। हमने पहले भी एक अधिसूचना जारी की थी और वर्तमान अधिसूचना केवल उसका अनुवर्ती है।”

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AUCCTA ने की थी VC ऑफिस की आलोचना

दरअसल, 25 मार्च को इलाहाबाद विश्वविद्यालय संघटक महाविद्यालय शिक्षक संघ (AUCCTA) ने अपनी आम सभा की बैठक के बाद एक प्रेस रिलीज जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि “कई सदस्य इस बात से नाराज़ थे कि कॉलेजों की फाइलें महीनों तक कुलपति कार्यालय में जमा रहती हैं और उन्हें छोटे-मोटे काम के लिए भी वीसी ऑफिस के चक्कर लगाने पड़ते हैं।”

नाम न बताने की शर्त पर यूनिवर्सिटी के एक विभागाध्यक्ष ने सर्कुलर को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। डिपार्टमेन्ट हेड ने कहा, “कोई भी विश्वविद्यालय के अधिकारियों की ऑन रिकॉर्ड आलोचना नहीं कर सकता।”

रजिस्ट्रार ऑफिस ने सर्कुलर जारी कर लगाई रोक

14 नवंबर, 2024 को रजिस्ट्रार खरे ने एक सर्कुलर जारी कर शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को सलाह दी थी कि विशुद्ध रूप से साहित्यिक, कलात्मक या वैज्ञानिक चरित्र के लेख या समाचार के प्रकाशन के अलावा, प्रिंट या डिजिटल मीडिया प्लेटफार्मों में किसी भी लेख या समाचार के रूप में किसी भी प्रकाशन की पहले जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) द्वारा समीक्षा की जानी चाहिए और बाद में सक्षम प्राधिकारी द्वारा रेगुलेट किया जाना चाहिए।

वहीं,इस लेटेस्ट सर्कुलर पर इंडियन एक्सप्रेस के सवालों का जवाब देते हुए यूनिवर्सिटी की पीआरओ प्रोफेसर जया कपूर ने कहा, “शिक्षकों के लिए आदर्श आचार संहिता के मद्देनजर (29 मार्च) नोटिस जारी किया गया है। शिक्षक अपनी उपलब्धियों और रिसर्च को साझा कर सकते हैं, लेकिन उन्हें सोशल मीडिया पर ऐसे मुद्दों पर बयान देने से बचने की सलाह दी गई है, जो संस्थान की छवि को खराब करते हैं। नोटिस के बाद अभी तक किसी पर कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई है।” पढ़ें- देशभर के मौसम का हाल