Allahabad High Court: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया है, जिसमें केंद्र सरकार को पुरुषों को उनकी पत्नियों द्वारा “उत्पीड़न” से बचाने के लिए कानून बनाने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, चंद्रमा विश्वकर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका में देश भर में पुरुषों द्वारा झेली जा रही कथित कठिनाइयों को उजागर करने वाली कई खबरों का हवाला दिया गया है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि मौजूदा कानून महिलाओं के पक्ष में झुके हुए हैं, जिससे कथित तौर पर उन्हें पुरुषों को परेशान करने का हौसला मिलता है।
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याचिका को खारिज करते हुए चीफ जस्चिस अरुण भंसाली और जस्टिस क्षितिज शैलेन्द्र की खंडपीठ ने कहा, “याचिका के अवलोकन से पता चलता है कि कुछ समाचारों के संदर्भ को छोड़कर, राहत की मांग करने वाली याचिका में पूरी तरह से सतही बयान दिए गए हैं, जैसा कि संकेत दिया गया है।” कोर्ट ने 24 सितंबर के अपने आदेश में कहा, “याचिका में जनहित याचिका के रूप में विचार करने का कोई मामला नहीं बनता है।”
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि पत्नियां अपने पतियों को लगातार परेशान कर रही हैं और उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को झूठे मामलों में फंसा रही हैं। उन्होंने इस तरह के उत्पीड़न को रोकने के लिए एक कानून बनाने का आग्रह किया।साथ ही दावा किया कि दहेज उत्पीड़न के 90% से ज़्यादा मामले झूठे होते हैं और यहां तक कि बलात्कार के झूठे मामलों में भी वृद्धि हो रही है। विश्वकर्मा ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा के सभापति, राज्यपाल और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
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