इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि कोई भी भारतीय महिला किसी और के साथ “अपने पति को साझा” नहीं कर सकती है और ऐसे मामले में वह स्वस्थ मस्तिष्क वाली नहीं हो सकती है। उच्च न्यायालय ने अपनी “दूसरी” पत्नी के आत्महत्या किए जाने के लिए उकसाने के आरोपी एक बहुविवाह करने वाले व्यक्ति को आरोपमुक्त किए जाने की अपील को खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने यह टिप्पणी वाराणसी निवासी एक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने वाली अपील को खारिज करते हुए की, जिसमें आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में उसे आरोपमुक्त करने की उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी। न्यायमूर्ति चतुर्वेदी ने कहा, “कोई भी भारतीय महिला अपने पति को किसी भी कीमत पर साझा नहीं कर सकती है। हर महिला वस्तुत: अपने पति के बारे में रक्षात्मक होती हैं।”
मामला वाराणसी निवासी सुशील कुमार से संबंधित है, जो अपनी “दूसरी पत्नी” द्वारा कथित तौर पर आत्महत्या किए जाने के लिए उकसाने के आरोपों की जांच का सामना कर रहा है, जिसने 22 सितंबर, 2018 को उसके खिलाफ एक पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज करने के एक दिन बाद आत्महत्या जैसा कदम उठाया।
न्यायाधीश ने कहा, “किसी भी विवाहित महिला के लिए यह सबसे बड़ा झटका होगा कि उसके पति को कोई अन्य महिला साझा कर रही है या वह किसी अन्य महिला से शादी करने जा रहा है। ऐसी अजीब स्थिति में, उनसे किसी भी तरह की समझदारी की उम्मीद करना असंभव होगा।”
आरोपी की पहली पत्नी से दो बच्चे थे। उसको तलाक दिए बिना उसने “दूसरी महिला” से शादी कर ली और उसको पहली पत्नी के बारे में बताया भी नहीं था। इस दौरान बात खुलने पर यह भी पता चला कि वह अब तीसरी महिला से शादी करने जा रहा है। इससे बुरी तरह टूटी दूसरी पत्नी ने खुद को मार डाला।
आत्महत्या करने से पहले दूसरी पत्नी ने आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। उसमें उसने यह भी आरोप लगाया था कि 10 से 12 साल पहले आरोपी के साथ उसकी शादी के बाद ससुराल वालों ने उसका हर तरह से उत्पीड़न और शोषण किया।
महिला द्वारा आत्महत्या पर खेद जताते हुए अदालत ने कहा, “यह जानना कि उसके पति ने किसी अन्य महिला के साथ गुपचुप तरीके से शादी कर ली है, आत्महत्या के लिए उकसाने का पर्याप्त से अधिक प्रमाण है।” न्यायाधीश ने आरोपी की अपील को खारिज करते हुए कहा, “पति सुशील कुमार कम से कम आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत अपराध के लिए मुख्य अपराधी लगता है।”