उत्तराखंड सरकार ब्रिटिशकाल के उन सभी सड़कों, स्थानों और भवनों के नाम बदलने की तैयारी में है, जो गुलामी के प्रतीक हैं। इसके लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी विभागों को निर्देश भी दे दिए हैं कि जो भी गुलामी के पुराने प्रतीक हैं, उन्हें बदला जाए। उन्होंने इन प्रतीकों की रिपोर्ट भी मंगवाई है, जिनको हटाया जाएगा और प्रतीकों में बदलाव भी किया जाएगा।

उन्होंने कहा, “देश में हाल में पीएम नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश के अंदर जो भी गुलामी के पुराने प्रतीक थे, उनको बदला जा रहा है और हटाया जा रहा है। उन प्रतीकों का परिवर्तन किया जा रहा है उसी तरह हमने सभी विभागों से कहा है कि ऐसे जो भी प्रतीक हैं, उन सभी को बदला जाएगा और हम उसके लिए पूरी रिपोर्ट मंगवा रहे हैं।”

बता दें कि इससे पहले उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार मुगल और ब्रिटिशकाल के प्रतीकों और स्थानों के नाम में बदलाव कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से जिन पांच प्रणों की बात कही थी, उनमें गुलामी के प्रतीकों से मुक्ति की भी बात कही गई थी।

पुष्कर सिंह धामी की इस घोषणा को भारतीय जनता पार्टी का समर्थन मिल रहा है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि अगर लैंसडोन का नाम बदला जाता है, तो गुलामी की पहचान मिटाने की दिशा में यह अच्छा कदम होगा। इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस पर भी कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि 70 साल तक देश में सत्ता सुख भोगने वालों को विचार करना चाहिए।

बता दें कि हाल ही में लैंसडोन का नाम बदलने का प्रस्ताव पारित किया गया था। ब्रिटिशकाल में वायसराय लार्ड लैंसडोन के नाम पर कालोंडांडा का नाम लैंसडोन रखा गया था। उत्तराखंड में लैंसडोन, मसूरी, नैनीताल, देहरादून और रानीखेत समेत कई ऐसे क्षेत्र एवं छावनी परिषदों के अंतर्गत सड़कों और स्थानों के नाम ब्रिटिशकालीन हैं। इनमें अभी तक कोई बदलाव नहीं किया गया है। इन जगहों पर सड़कों, संस्थानों और सार्वजनिक स्थलों के नाम ब्रिटिशकालीन हैं। अब उत्तराखंड सरकार इन नामों को बदलने या हटाने की तैयारी में है।